Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान राज्य सरकार ने हाल ही में "राजस्थान जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश-2025" को लागू किया। इस अध्यादेश का उद्देश्य उन मामूली उल्लंघनों और तकनीकी त्रुटियों के लिए कठोर दंड को आसान बनाने का है। अब तक जिन मामलों में कारावास जैसे कठोर दंड की सजा दी जाती थी, उन्हें अब जुर्माने के दायरे में लाया जाएगा। इस फैसले का मुख्य लाभ आम जनता को होगा, क्योंकि इससे कानून के तहत छोटे-मोटे अपराधों की सजा में नरमी आएगी और कानूनी झंझटों की संख्या घटेगी।
प्रमुख बदलाव: अपराध की सजा से जुर्माना
राज्य सरकार का यह कदम नागरिकों को राहत देने वाला माना जा रहा है, क्योंकि इसमें 11 महत्वपूर्ण अधिनियमों में से अपराध से जुड़ी सजा को हटाकर आर्थिक दंड की व्यवस्था की गई है। इससे लोगों को न्यूनतम जुर्माना भरकर मामले को निपटाने का मौका मिलेगा, बजाय इसके कि वे कारावास में जाएं या लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरें।
कानूनी बदलावों के तहत कौन से अधिनियम प्रभावित हुए?
यह अध्यादेश राजस्थान वन अधिनियम, राजस्थान विद्युत शुल्क अधिनियम, राजस्थान स्टाम्प अधिनियम जैसे 11 महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव करता है। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान वन अधिनियम-1953 में अब तक मवेशी चराने पर कारावास की सजा का प्रावधान था। अब यह केवल जुर्माने तक सीमित किया गया है, जिससे आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बड़ा फायदा होगा। पहले ये लोग अनजाने में वन भूमि में मवेशी घुमा देते थे और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब उनके लिए यह एक हल्का जुर्माना भरने का मामला बन गया है।
नौकरी और उद्योगों पर असर
राजस्थान राज्य सहायता (उद्योग) अधिनियम-1961 में भी बदलाव किया गया है। पहले अगर उद्योग मालिक बहीखाते या अन्य दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं करते थे तो उन पर कारावास का प्रावधान था। अब इस नियम को बदलकर सिर्फ अर्थदंड तक सीमित कर दिया गया है। इस बदलाव से उद्योगों पर कम दबाव होगा और वे प्रशासनिक कार्यों में ज्यादा सक्षमता से काम कर सकेंगे।
जल बर्बादी पर नियंत्रण
जयपुर वाटर सप्लाय एंड सीवरेज बोर्ड अधिनियम-2018 में पहले जल बर्बादी, सीवर लाइन में रुकावट डालने और बिना अनुमति के कनेक्शन जोड़ने जैसी घटनाओं पर कारावास का प्रावधान था। अब इसे भी अर्थदंड के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। इससे नागरिकों के लिए जल संबंधी अपराधों की सजा भी कम कड़ी होगी, साथ ही शहरों में जल संकट की स्थिति पर भी काबू पाया जा सकेगा।
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