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साल 2024 के चुनाव की भूमिका अभी से बननी शुरू हो गई है। 2024 के आम चुनाव से पहले बीजेपी से टक्कर लेने के लिए विपक्ष अपना कुनबा बनाने की जुगत में लगा हुआ है। विपक्षी एकता के लिए 17 और 18 जुलाई की तारीख बहुत महत्वपूर्ण है। बेंगलुरु में इन दोनों तारीखों को विपक्षी दल एक बार फिर से साथ बैठेंगे और आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। दूसरी तरफ बीजेपी ने भी साल दो हज़ार 24 के चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

जहां बिहार में जीतनराम मांझी नीतीश का साथ छोड़कर एनडीए में आ गए, वहीं उत्तर प्रदेश में कभी मोदी और शाह के नेतृत्व से नाराज होकर गए ओम प्रकाश राजभर ने भी घर वापसी कर ली है। बेंगलुरू में होने वाली यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछले महीने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुई मीटिंग बेनतीजा रही थी। बता दें कि पटना में हुई पिछली बैठक के बाद विपक्षी गुट की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक को टूट का सामना करना पड़ा है।

शरद पवार की पार्टी एनसीपी को तोड़कर उनके भतीजे अब महाराष्ट्र की सरकार में शामिल हो गए हैं। शरद पवार जो कि विपक्षी एकता के नायक हो सकते थे, वह पारिवारिक टूट के साथ पार्टी बचाने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं। पहले खबर आ रही थी कि शरद पवार बेंगलुरू में होने वाली इस बैठक के डिनर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। लेकिन अब मिली खबर के मुताबिक शरद पवार आज से शुरू हो रही बैठक में ही भाग नहीं लेंगे। इस बात की पुष्टि शरद पवार वाली एनसीपी गुट के प्रवक्ता ने की है। बैठक में न जाने का फैसला कांग्रेस के साथ साथ विपक्षी एकता के लिए बड़ा धक्का है। उधर ममता बैनर्जी ने पहले से ही बैठक डिनर से दूरी बना ली थी।

 

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