धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेश जी (Ganesh Chaturthi 2022) का सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके बाद माता पार्वती के विशेष अनुरोध पर शिव जी ने शिशु हाथी का मुख लगाकर गणेश जी को फिर से जिन्दा किया था। वहीं आज भी बहुत से लोगों में मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि गणेश जी का कटा हुआ असली सिर कहां गिरा था? इसका जवाब उत्तराखंड स्थित पिथौरागढ़ की पाताल भुवनेश्वर गुफा में मिलता है। जानकार बताते हैं कि भगवान गणेश जी का असली सिर पाताल भुवेश्वर गुफा में आकर गिरा था जो आज भी यहां मौजूद है। आइये जानते हैं पाताल भुवनेश्वर गुफा का रहस्य।
कहां है पाताल भुवनेश्वर गुफा?
पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से 14 किमी की दूरी पर स्थित है। यह गुफा भगवान शिव और गणेश (Ganesh Chaturthi 2022) की कई पौराणिक कथाओं को अपने में समेटे हुए है। ये गुफा समुद्र तल से 1,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये गुफा मुख्य द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 मीटर गहरी है। लोककथाओं में बताया गया है कि इस गुफा में आज भी भगवान शिव विराजमान हैं और भगवान गणेश का कटा हुआ सिर भी इसी गुफा में सुरक्षित है। यहां पूरे साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है और उनके कटे हुए सर का दर्शन करते है।(Ganesh Chaturthi 2022)
गुफा का रहस्य
इस गुफा का उल्लेख स्कंद पुराण में भी किया गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव के क्रोध के बाद भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग हो गया और इस गुफा में आकर गिरा। मान्यता है कि भगवान शिव ने उनके मूल सिर को पाताल भुवनेश्वर गुफा में रखा था। यहां भगवान गणेश (Ganesh Chaturthi 2022) का सिर चट्टान के आकार में मौजदू है। इस चट्टान के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल बना हुआ है जिसमें से अमृत की बूंदें भगवान गणेश के सिर पर गिरती हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मकमल की स्थापना भगवान शिव ने ही की थी।
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