ओम प्रकाश तिवारी
प्रतिभा कभी सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। वह तो अपना मुकाम खुद ढूढ़ लेती है । अब अभय सिंह को ही लीजिए, उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े जनपद प्रतापगढ़ के भोजपुर बिहारगंज में जन्मे और जनपद में ही शिक्षित अभय सिंह आज दुनिया के लाखों कला प्रेमियों के चहेते हैं। हर दिल अज़ीज़ हैं। अभय की आकांक्षा लोककला को बचाने की है।
बचपन से ही कुछ खास करने की चाहत लिए अभय किशोरावस्था में ही मुंबई की डगर पकड़ लिए। मुंबई में शुरुवाती संघर्षों के बाद कला के पारखियों ने उन्हें परखा और उन्हें धारावाहिक में काम मिल गया। बाद में अभय को हिंदी फीचर फिल्मों में भी काम मिलने लगा। चूंकि अभय में अभिनय की प्रतिभा पैदायसी थी, इसलिए जल्द ही वह फ़िल्म निर्माताओं और निदेशकों की पसंद बन गए । आज अभय के पास दर्जनभर से भी ज्यादा धारावाहिक और फीचर फ़िल्में हैं।
अभय सिंह अब तक 40 से अधिक हिंदी, मराठी और गुजराती धारावाहिकों में काम कर चुके हैं, जिनमे चिड़िया गए, क्या हाल मिस्टर पांचाल, लापतागंज, पीटरसन हिल, सजन रे फिर झूठ मत बोलो, कृष्ण कन्हैया, तेरा बाप मेरा बाप, राग चुनावी, लाफ्टर एक्सप्रेस जैसे टीवी सीरियल,हैं। सोनू और सोनी जैसी फिल्मों में वह लीड रोल कर चुके हैं।
लाकडाउन में अभय सिंह प्रतापगढ़ स्थित अपने गांव भोजपुर बिहारगंज आये हुए हैं और इन दिनों वह अपने परवार के साथ खेती किसानी में हाथ बता रहे हैं। एक दिन पूर्व अभय से मोबाइल पर संपर्क हुआ और ढेर सारी बातें हुई। सबसे अहम बात यह है कि कला धर्म निभाने के साथ ही इस कलाकार का कलाकार देश समाज से गहरा सरोकार है। कोरोना त्रासदी में लोगों को बचाने की चिंता है। अभय की आकांक्षा ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने की है। लुप्त होती लोककला को वह बचाना चाहते हैं। इसके लिए सरकार और समाज से भी सहयोग चाहते हैं।