हरियाणा पुलिस ने जारी की एडवाइजरी, कहा- इस तरीके के धोखेबाज़ों से रहें सावधान

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 हरियाणा पुलिस ने एक महत्वपूर्ण एडवाजरी जारी करते हुए नागरिकों से अनुरोध किया है कि किराया भुगतान संबंधी किसी भी ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया को शुरू करने से पहले रेंट पेमैंट एप की साख को सही प्रकार से जांच-परख लें, क्योंकि साइबर जालसाज ऐसे आॅनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से बैंक खातों में सेंध लगाने का प्रयास कर सकते हैं।
हरियाणा पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने ऐसे साइबर जालसाजों से सावधान रहने की सलाह देते हुए सोमवार को बताया कि ऑनलाइन एप द्वारा क्रेडिट / डेबिट कार्ड के माध्यम से रेंट ट्रांसफर की सुविधा शुरू होने के बाद साइबर क्राइम का एक नया तरीका सामने आया है। नाॅब्राडर पे, रेंटपेमेंट, सीआरइडी जैसे रेंट पेमैंट ऐप के जरिए यूजर मकान मालिक के बैंक अकाउंट में किराया ट्रांसफर कर सकते हैं और डिजिटल रसीद भी प्राप्त कर सकते हैं।
 क्राइम के तरीके बारे बताते हुए यादव ने कहा कि सबसे पहले ऐसे जालसाज एक किराया भुगतान ऐप के साथ एक खाता खोलकर अपने खाता नंबर के साथ खुद को मकान मालिक के रूप में पंजीकृत करते हैं। फिर वे व्यक्ति को फोन कर उसे कार्ड की जानकारी देने के लिए हथकंडे अपनाते हैं। डीजीपी ने एहतियाती उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि नागरिक कोई भी ऑनलाइन भुगतान करने से पहले रेंट पेमैंट ऐप की साख व प्रतिष्ठा और मकान मालिक की सही ढंग से जांच-परख कर ले।
यदि कोई धोखाधड़ी सामने आती है तो तुरंत रेंट पेमैंट ऐप के ग्राहक सहायता केंद्र से संपर्क करें क्योंकि अनाधिकृत निकासी द्वारा इस तरह के लेनदेन को एक समयसीमा के भीतर रोका जा सकता है। नागरिकों को फोन कॉल/व्हाट्सएप या टेक्स्ट मैसेज पर किसी को भी अपना क्रेडिट/डेबिट कार्ड विवरण साझा करने से बचना चाहिए। किसी के कहने पर एनीडेस्क, क्विक स्र्पोट जैसे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर को भी इंस्टाल करने से बचना चाहिए।  डीजीपी ने बताया कि हरियाणा पुलिस द्वारा साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे का संज्ञान लेते हुए इस पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हंै।
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