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आगामी लोकसभा चुनाव की तस्वीर थोड़ी थोड़ी साफ होती नजर आ रही है। यह भी नजर आने लगा है कि सत्ता पक्ष वाले एनडीए के साथ कौन है और इसे एनडीए के खिलाफ बनाए जा रहे विपक्षी एकता के साथ कौन कौन है। 

एकला चलो की राह पर 5 पार्टियां

एनडीए में बीजेपी के अलावा अभी तक कुल 18 दल हैं, मगर विपक्षी एकता में अब तक कुल 24 दलों का कुनबा जुड़ चुका है। कोई इसे 25 26 तक बता रहा है। मगर अब भी कम से कम पांच ऐसी बड़ी पार्टियां हैं, जिन्होंने न तो बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ जाना मुनासिब समझा है और न ही उनका रुझान विपक्षी एकता की तरफ है।

पहला सबसे बड़ा नाम है आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का। वह वाईएसआर कांग्रेस के मुखिया हैं। वाईएसआर वाले विपक्ष के साथ आएंगे नहीं, क्योंकि कांग्रेस से उनकी पुरानी अदावत है और इतनी पुरानी है कि अगर कांग्रेस से अदावत नहीं रही होती तो शायद उन्हें वाईएसआर कांग्रेस बनानी ही नहीं पड़ी होती और वह अब कांग्रेस के नेता होते तो वह कांग्रेस नहीं हैं और बीजेपी के साथ जाएंगे तो आंध्र प्रदेश में सत्ता हाथ से खिसक सकती है।

लिहाजा जगन मोहन रेड्डी ने दोनों ही कुनबों से बराबर की दूरी बना रखी है और वह भी तब जब लोकसभा में उनके पास आंध्र प्रदेश की 25 में से 22 लोकसभा सीटें हैं। यही हाल आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का है। अपनी पार्टी बनाने से पहले केसीआर पहले कांग्रेस और फिर टीडीपी का हिस्सा रह चुके हैं। फिर अलग तेलंगाना की मांग के लिए उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति टीआरएस भी बनाई और अपनी ही पार्टी से तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री भी बने।

वह अब भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं, मगर नेशनल पॉलिटिक्स में बड़ी भूमिका निभाने की नीयत से उन्होंने अपनी बनाई पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति यानी कि बिहार कर दिया है। मगर उन्होंने न तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का पाला चुना है और न ही विपक्षी एकता का। क्योंकि तेलंगाना में विधानसभा का चुनाव है और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर राहुल गांधी तक सीधे सीधे केसीआर को चुनौती देते आए हैं। लिहाजा केसीआर कह रहे हैं कि एकला चलो रे और एकला चलो रे की ही राह पर।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उनकी पार्टी बीजू जनता दल भी है। नवीन पटनायक वह नेता हैं जो ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर वाला फॉर्मूला अपनाते रहे हैं। हालांकि ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने से पहले नवीन पटनायक अटल बिहारी वाजपेयी वाली एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। मगर साल दो हज़ार में ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने के बाद कोई भी उन्हें कुर्सी से हिला नहीं पाया है।

एनडीए से अलग होकर 2014 में मोदी लहर के बावजूद नवीन पटनायक की पार्टी ने ओडिशा की 21 में से 20 सीटें जीती थी और दो हज़ार 19 में उन्होंने 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। साल दो हज़ार में ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नवीन पटनायक ने कभी राष्ट्रीय राजनीति में इतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई है कि उन्हें बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए या फिर विपक्षी एकता की जरूरत पड़े। लिहाजा, जब विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से विपक्षी एकता में शामिल होने की गुजारिश भी की तो नवीन पटनायक ने इनकार कर दिया। 

बाकी नाम तो बड़ा तेलुगू देशम पार्टी का भी है, जिसके मुखिया एन चंद्रबाबू नायडू कभी एनडीए के सबसे चर्चित चेहरों में शुमार रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री मोदी के दोस्त भी रहे, मगर 2019 में उन्होंने एनडीए से अलग होकर तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की, जिसमें वह बुरी तरह से मात खा गए। 

देश की राजनीति में तो अप्रासंगिक हुए ही, आंध्र प्रदेश में मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई। विपक्षी एकता के साथ वह जहां नहीं रहे और एनडीए में शामिल होने को लेकर वह खुलकर कुछ बोल नहीं रहे। लिहाजा उनकी भी गिनती उन्हीं नेताओं में की जाएगी, जो न तो बीजेपी के साथ हैं और न ही विपक्ष के।

उत्तर प्रदेश की बड़ी पार्टी भी ना बीजेपी के साथ ना ही विपक्ष के

बात अब दक्षिण भारत के नेताओं की हो गई है तो जरा उत्तर भारत की भी एक बड़ी नेता पर नजर डाल लीजिए। उन्होंने दो हज़ार 24 के चुनाव में सबसे पहले अकेले चलने का फैसला किया था। वह नाम है उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का, जिन्होंने न तो बीजेपी का साथ दिया है और न ही वह विपक्षी एकता के साथ हैं। तो कुल मिलाकर बात यह है कि जो पांच नेता और उनकी पार्टियां किसी पाले में नहीं हैं, उनमें से तीन तो अब भी मुख्यमंत्री हैं और दो पहले अपने अपने राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में इनका किसी भी कुनबे में शामिल न होना राजनीतिक रूप से कितना सही फैसला होगा, यह तय 2024 के चुनावी नतीजे ही कर पाएंगे।
 

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