सस्ते ईंधन को लेकर सऊदी अरब वर्तमान में बहुत ज्यादा गुरूर में आ गया है। जो कि भारत को रास नहीं आ रहा है। अब इसी घमंड को तोड़ने के लिए भारत ने बड़ा प्लान बनाया है, जिससे सऊदी को अपने किये का एहसास जरूर होगा।
दअरअसल, कच्चे तेल के निकलाने में कमी के बाद इंडिया व सऊदी के मध्य तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते अब इंडिया ने पब्लिक सेक्टर की पेट्रोलियम कंपनियों से प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कहा है। इसके साथ ही पश्चिमी एशियन राष्ट्रों से कच्चे तेल की खरीद के करार की समीक्षा करने के भी आदेश दिये गये हैं।
इतना ही नहीं, तेल उत्पादकों के अलाएंस को तोड़ने और भावों की शर्तों को अनुकूल करने के लिए भारत सरकार ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड से भी बातचीत की है। सरकार ने कंपनियों से वेस्ट एशिया के बाहर से कच्चे तेल की सप्लाई पाने का प्रयास करने, और सामूहिक रूप से ज्यादा अनुकूल शर्तों के लिए कहा है।
आपको बता दें कि इंडिया आवश्यकता के 83/85 फीसद कच्चे तेल के लिए दूसरे राष्ट्रों पर निर्भर है। इंटरनेशनल लेवल पर जब तेल की सप्लाई और कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है तो इंडिया पर भी असर पड़ता है। फरवरी में कच्चे तेल के दाम फिर बढ़ने शुरू हुए थे। उस वक्त इंडिया ने सऊदी अरब से प्रोडक्शन कंट्रोल पर कुछ राहत देने के लिए कहा था, लेकिन उसने भारत के आग्रह को नजरअंदाज कर दिया। उसी के बाद इंडिया अपनी सप्लाई के विविधीकरण कर प्रयास कर रहा है।