Up kiran,Digital Desk : उत्तर भारत समेत देश के कई राज्यों में सर्दियां शुरू होते ही हवा 'जहरीली' होने लगी है। यह प्रदूषण सिर्फ आंखों में जलन नहीं दे रहा, बल्कि लोगों को गंभीर सांस की बीमारियों का शिकार बना रहा है। डॉक्टर के पास जाने का खर्चा, दवाइयां और जांच का बिल आम आदमी की कमर तोड़ रहा है। लेकिन, इस धुंध के बीच एक राहत की खबर आई है। अब कई बीमा कंपनियां इन बीमारियों के इलाज का खर्चा उठाने के लिए अपनी नीतियों में बड़े बदलाव कर रही हैं।
प्रदूषण अब 'सीजनल' नहीं, साल भर की मुसीबत है
हम अक्सर सोचते हैं कि प्रदूषण सिर्फ दिवाली या सर्दियों की समस्या है, लेकिन एक्सपर्ट्स की राय अब बदल गई है। बजाज जनरल इंश्योरेंस के हेल्थ टीम के प्रमुख भास्कर नेरुरकर बताते हैं कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के इन्फेक्शन जैसी बीमारियां अब किसी खास मौसम तक सीमित नहीं हैं। यह खतरा पूरे साल बना रहता है। सीओपीडी (COPD) जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारियां तेजी से आम होती जा रही हैं।
यही वजह है कि अब इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे खास प्लान लेकर आ रही हैं जो सीधे तौर पर श्वसन (सांस) से जुड़ी देखभाल पर फोकस करते हैं।
इंतजार की घड़ी खत्म, पहले दिन से कवर
अक्सर हेल्थ पॉलिसी में किसी बीमारी के कवर के लिए लंबा इंतजार (Waiting Period) करना पड़ता है। लेकिन नई प्रदूषण-केंद्रित पॉलिसी में बदलाव किया जा रहा है। अब प्रदूषण से होने वाली सांस की तकलीफों के लिए आपको महीनों इंतजार नहीं करना होगा, कई प्लान्स में इसे 'बिना वेटिंग पीरियड' के कवर किया जा रहा है। इसके साथ ही, फेफड़ों की हेल्थ को जांचने के लिए रेगुलर चेकअप और वेलनेस प्रोग्राम भी दिए जा रहे हैं।
ओपीडी (OPD) और जांच का खर्चा भी मिलेगा
सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब मरीज को अस्पताल में भर्ती तो नहीं होना पड़ता, लेकिन डॉक्टर की फीस और टेस्ट में ही हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अब 'कॉम्पिहेंसिव प्लान्स' में ओपीडी (OPD) के लाभ जोड़े गए हैं। इसका मतलब है:
- छाती का एक्स-रे और सीटी स्कैन: अब डायग्नोस्टिक टेस्ट का पैसा जेब से नहीं देना होगा।
- डॉक्टर की सलाह: आप डॉक्टर को क्लिनिक पर दिखाएं या फोन पर (टेली-कंसल्टेशन), इसका खर्चा बीमा कंपनी उठाएगी।
- दवाइयों का खर्च: अस्थमा जैसी बीमारी में जो दवाइयां या इनहेलर लगातार चलते हैं, उनका खर्च भी कवर होगा।
अस्पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं
अस्थमा के अटैक या सांस फूलने जैसी स्थिति में कई बार कुछ घंटों के इलाज की जरूरत होती है, रात भर अस्पताल में रुकने की नहीं। पुराने नियमों में सिर्फ 24 घंटे भर्ती होने पर ही क्लेम मिलता था, लेकिन अब नए प्लान्स में इसे बदल दिया गया है। ऐसे इलाज जिनमें भर्ती होने की जरूरत नहीं है, उनके खर्चे भी अब आपकी पॉलिसी कवर करेगी।
तो अगर आप भी प्रदूषण वाले शहर में रहते हैं, तो अपनी पॉलिसी चेक करें या अपने एजेंट से इन नए फायदों के बारे में जरूर पूछें। यह आपकी सेहत और सेविंग्स दोनों के लिए जरूरी है।
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