रक्षा सौदों में भारत को हो सकता है इतने करोड़ रूपए का नुकसान : कैग

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नई दिल्ली, 24 सितम्बर यूपी किरण। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ​ने मानसून सत्र के दौरान डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर ​​संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में ​पिछले 15 साल में विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा सौदों में भारत को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया है​​। ​साथ ही लड़ाकू विमान राफेल बनाने वाली कंपनी पर करार के मुताबिक​ ​​​कावेरी​ इंजन की तकनीक अभी तक हस्तांतरित न करने पर सवाल उठाया है
 
​संसद में ​पेश ​रिपोर्ट में कहा गया है कि ​फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ​से 36 राफेल ​विमानों ​की डील ​करते समय ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट ​में ​​डीआरडीओ को कावेरी​ इंजन की तकनीक देकर 30 प्रतिशत ​​ऑफसेट पूरा ​करने की बात तय हुई थी लेकिन अभी तक ​यह वादा पूरा नहीं किया गया ​है। अनुसंधान एवं विकास संगठन​ (​डीआरडीओ​)​ को इंजन (कावेरी)​ की तकनीक हासिल करके स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए  ​विकसित करना था। ​​फ्रांस के साथ 36 विमानों की डील 59 हजार करोड़ रुपये में की गई थी। भारत की ​​ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक विदेशी ​कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत ​हिस्सा ​भारत में रिसर्च या उपकरणों ​पर खर्च करना होता है।​ रक्षा मंत्रालय ने यह ​​ऑफसेट​ ​नीति विदेशी कंपनियों से 300 करोड़ ​रुपये से ज्यादा के ​रक्षा सौदों के लिए ​बनाई है​​​​​​ 
 
इतना ही नहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में ​2005 से 2018 के बीच विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा समझौतों की समीक्षा करते हुए कहा है कि ऑफसेट पॉलिसी से मनमाफिक नतीजे नहीं ​मिले​ हैं​ इसलिए रक्षा मंत्रालय को इस पॉलिसी की समीक्षा करने ​और लागू करने में आ रही दिक्कतों की पहचान कर​के उनका समाधान ​करने की सलाह दी गई है।​ 
संसद में पेश रिपोर्ट में रिपोर्ट में कैग ने कहा कि 2005 से 2018 के बीच​ हुए रक्षा समझौतों में किसी भी किसी भी विदेशी कंपनी ने ​​​​ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक​ अपनी तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की है​​​​ कैग ने कहा है कि विदेशी कंपनियों को अगले छह साल में लगभग 55 हजार करोड़ रुपये के ऑफसेट दावे पूरे करने हैं​​ ​फिलहाल ​हर साल 1300 करोड़ रुपये की ऑफसेट प्रतिबद्धताएं ही अभी पूरी हो पा रही हैं​​ ​इसलिए ​कैग ने छह साल में 55 हजार करोड़ रुपये की ऑफसेट प्रतिबद्धताओं ​का पूरा हो पाना बड़ी ​चुनौती माना है​​
 
कैग ने ​अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2005 से ​20​18 ​के बीच भारत ने विदेशी​ रक्षा कंपनियों के साथ कुल 66,427 करोड़ ​रुपये ​के​ 48 ​करार​ किए थे। ​रक्षा मंत्रालय की ऑफसेट​ ​नीति के मुताबिक दिसम्बर,​ 2018 तक ​भारत को ​19,223 करोड़ के ऑफसेट ट्रांसफर हो​ने थे लेकिन केवल 11,​396​ करोड़ का ही ट्रांसफर किया गया। इनमें से भी ​सिर्फ ​5457 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धताएं ही स्वीकार की गईं​ हैं​ 
यानी कि ​​केवल 59 प्रतिशत ऑफसेट पॉलिसी​ का पालन किया गया है।​ इस तरह देखा जाए तो पिछले 15 साल में विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा सौदों में भारत को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है​​​​। 
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कैग ने फरवरी, 2019 में संसद में राफेल पर अपनी रिपोर्ट पेश करके दावा किया था कि एनडीए सरकार में हुआ राफेल सौदा पूर्ववर्ती​ यूपीए सरकार की डील के मुकाबले 2.86 प्रतिशत सस्ता है। उस समय कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कैग रिपोर्ट की आलोचना की थी
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