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India railways: आपने अक्सर रेलवे स्टेशनों पर सुना होगा कि “रेलवे आपकी संपत्ति है,” मगर इसका मतलब यह नहीं कि आप रेलवे के मालिक हो गए हैं या पूरी ट्रेन आपकी हो गई है। भारतीय रेलवे और उसकी संपत्तियों पर भारत सरकार का अधिकार होता है। मगर एक ऐसा वाकया सामने आया है जब एक शख्स कानूनी तौर पर एक पूरी ट्रेन का मालिक बन गया। यह कोई फर्जीवाड़ा नहीं, बल्कि एक कानूनी घटना थी।

जानें क्या है मामला

यह कहानी है संपूर्ण सिंह की, जो पंजाब के लुधियाना जिले के कटाणा गांव के एक साधारण किसान हैं। साल 2017 में, संपूर्ण सिंह को दिल्ली से अमृतसर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का मालिक बनने का मौका मिला। ये कहानी तब शुरू हुई जब रेलवे ने लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए किसानों की जमीन कब्जाई थी, जिसमें संपूर्ण सिंह की भी जमीन शामिल थी। रेलवे ने उनकी जमीन को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहित किया।

हालांकि, संपूर्ण सिंह को बाद में पता चला कि रेलवे ने उसी क्षेत्र में स्थित एक अन्य गांव की जमीन को 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहित किया। रेलवे के इस दोहरे मापदंड के खिलाफ संपूर्ण सिंह ने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने रेलवे को मुआवजे की रकम बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये करने का आदेश दिया, मगर रेलवे ने केवल 42 लाख रुपये का भुगतान किया और बाकी 1.05 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रहा।

आज तक कोर्ट में चल रहा है मामला

कोर्ट के आदेशों की अनदेखी के बाद जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने 2017 में रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को कुर्क करने का आदेश दिया। संपूर्ण सिंह ने इस आदेश के तहत लुधियाना स्टेशन पर मौजूद स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को कुर्क कर लिया, और इस तरह वे भारत के एकमात्र व्यक्ति बन गए जो कानूनी तौर पर एक ट्रेन के मालिक थे।

इस स्थिति का अधिक समय तक बने रहना संभव नहीं था। कुछ ही देर में सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट के अधिकारी के माध्यम से रेलगाड़ी को रिहा करा लिया। इस मामले के बारे में रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये केस अब भी अदालत में विचाराधीन है।

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