मुंबई, 30 मार्च। रूस-यूक्रेन जंग के कारण दुनियाभर में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। भारत के पास गेहूं के बफर स्टॉक होने की खबरों से कीमतों पर लगाम लगी है। भारत के पास फिलहाल 12 मिलियन टन निर्यात लायक गेहूं का स्टॉक है। इस साल भारत दुनिया के उन देशों को गेहूं निर्यात (Wheat Export) करेगा, जो पहले रूस और यूक्रेन से गेहूं लिया करते थे। इन देशों में दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक मिस्र भी शामिल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में विश्वभर में रूस-यूक्रेन युद्ध, अकाल और मांग बढ़ने के कारण भारी बढ़ोतरी हुई है। वहीं शिकागो में बेंचमार्क गेहूं के भाव 13.635 प्रति बुशेल के उच्चतम स्तर को पिछले महीने ही छू चुके हैं। भारत के गेहूं निर्यात करने से विश्व बाजार में गेहूं की सप्लाई बढ़ेगी।
भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। सर्वे के अनुसार वर्ष 2022-23 में भारत के पास निर्यात करने लायक 12 मिलियन टन गेहूं है। अमरीकी कृषि विभाग के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 8.5 मिलियन टन गेहूं का निर्यात(Wheat Export) किया था। सप्लाई कम होने और गेहूं की कीमतें बढ़ने के साथ ही बहुत से देश पहली बार भारत से गेहूं का आयात करने वाले है।
पिछले पांच फसली सीजन से भारत में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हो रहा है। इस कारण भारत के पास गेहूं का पर्याप्त अतिरिक्त भंडार है, जिस गेंहू का निर्यात कर सकता है। इस बार का गेहूं कटाई सीजन भी शुरू हो गया है। इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
गेहूं निर्यात (Wheat Export) को लेकर भारत की गेहूं के सबसे बड़े आयातक मिस्र के साथ बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है। इसके अलावा चीन, तुर्की, बोसनिया, सूडान, नाइजीरिया और ईरान भी गेहूं लेने के लिए भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं। पिछले दस महीनों में ही भारत के गेहूं निर्यात (Wheat Export) में चार गुणा बढ़ोतरी हुई है। बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में भारत को बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के अलावा अब अफ्रीका और मिडल ईस्ट रीजन में भी निर्यात गेहूं निर्यात के मौके मिलेगा।
सिंगापुर स्थित अनाज की बड़ी आयात-निर्यात फर्म एग्रीकूप इंटरनेशनल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि भारत के गेहूं निर्यात करने से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गेहूं की सप्लाई कुछ सामान्य होगी। फिलहाल सप्लाई बहुत कम है। भारत के गेहूं निर्यात करने की संभावनाओं ने ही कीमतों पर कुछ लगाम लगेगी है।
अगर भारत गेहूं निर्यात नहीं करता,तब गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आता। हालात यह है कि हर गेहूं आयातक देश भारत से गेहूं लेने पर विचार कर रहा है। भारतीय गेहूं को लेकर जितना उत्साह इस बार देखा जा रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है।