लखीमपुर खीरी। यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में घटे मामले (Lakhimpur Kheri Case) में देश की शीर्ष कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने स्टेटस रिपोर्ट पेश कर दी है। इसने कहा कि मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो बार मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की थी।
लखीमपुर खीरी मामले (Lakhimpur Kheri Case) में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उस जगह पर थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे। उसे घटना के दिन यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्ग में बदलाव के बारे में भी जानकारी थी।
आशीष मिश्रा पर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मौर्य के दौरे के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचलने का आरोप लगाया गया था। किसान तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, जिन्हें बाद में केंद्र ने निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द नहीं करने को लेकर विशेष जांच दल की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश प्रशासन से सवाल किया था।
आशीष मिश्रा की ओर से पेश महेश जेठमलानी ने कहा कि इस स्तर पर हम यह नहीं कह सकते कि क्या कोई इरादा था। एसआईटी ने अपनी सिफारिश में हमें इस आधार पर विशेष अनुमति याचिका दायर करने को कहा कि गवाहों से छेड़छाड़ का खतरा था, कृपया हमारा हलफनामा देखें।जमानत दंडात्मक नहीं है।
याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने तर्क दिया कि जेठमलानी इस तथ्य की अनदेखी कर रहे हैं कि एक प्रमुख चश्मदीद को आरोपी के समर्थकों ने पकड़ा और पीटा। उसने विशेष रूप से उन लोगों के नाम पर प्राथमिकी दर्ज की उसे धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि राज्य यह कहकर जांच को खारिज करना चाहता है कि यह होली समारोह के कारण कुछ था। गवाहों से फोन पर संपर्क करने का क्या उद्देश्य है।