इस विवाद के सहारे हिंदुस्तान को कमजोर बता रहा है चीन, कर रहा है ये गंदी कोशिश

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नई दिल्ली॥ बीते 58 सालों से चीनी प्रचार डिपार्टमेंट्स व ने 1962 के बॉर्डर संघर्ष का इस्तेमाल इंडियन आर्मी को रक्षात्मक करने और बड़े पैमाने पर देश को ये बताने के लिए किया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इंडियन आर्मी से बहुत बेहतर है एवं युद्ध के मैदान पर दमदार है।

ये वही सोच है जिसने लाइन ऑफ कंट्रोल को पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर 4 पहाड़ी क्षेत्र के साथ-साथ गालवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार करने की हिम्मत दी है। हालांकि, चीनी आर्मी ने गलवान के साथ-साथ झील के दोनों किनारों पर इंडियन आर्मी के मेन पोस्टों पर हक जमाने की कोशिश की है।

हिंदुस्तान-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में LAC पर महीनों से गतिरोध जारी है। चीनी आर्मी निरंतर उकसावेपूर्ण हरकत कर रही है, जिसका हिंदुस्तानी लड़ाके मुंहतोड़ जवाब दे रहे। यह पूरी दुनिया को मालूम है कि जिनपिंग की आर्मी हिंदु्सतानी बहादुरों को उकसाने का काम कर रही है, मदर ड्रैगन है जो ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली हरकत कर रहा है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में उल्टा हिंदुस्तान पर ही सीमा पर उकसाने का इल्जाम लगाया है। इसके साथ ही, चीन को हिंदु्स्तान तथा अमेरिका की गाढ़ी मित्रता भी रास नहीं आ रही है।

चीनी मीडिया ने अपने लेख की शुरुआत अपनी आदत के अनुरूप झूठे दावे करते हुए की है। उसमें लिखा गया कि जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद हिंदुस्तान ने अधिकतर चीन के विरूद्ध ही कार्रवाई की है। आर्थिक और सैन्य रूप में हिंदुस्तान चीन से पीछे है, मगर इसके बावजूद भी क्यों ड्रैगन को उकसाने का जोखिम ले रहा है?’

 

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