बीजेपी से नाराज जाट वोटर, सामने आयी ये वजह

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नई दिल्ली॥ हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में 75 पार का नारा देने वाली बीजेपी बहुमत से दूर रह गई। ऐसे में जाट इलाकों में बीजेपी को हुए भारी नुकसान को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। इन इलाकों में जहां बीजेपी के दिग्गज अपनी सीट नहीं बचा पाए, वहीं नए प्रत्याशी भी मुंह की खा गए। इसके उलट जाट वोटरों के इलाकों में कांग्रेस और जेजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा जहां भी इन दोनों दलों के प्रत्याशी कमजोर थे, वहां निर्दलीयों ने बाजी मार ली।

ऐसा माना जाता है कि हरियाणा में जातिगत आधार पर जाटों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां लगभग 35 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट परिणाम देने की स्थिति में हैं। बीजेपी ने इस समुदाय को साधने के लिए इस समुदाय के 20 प्रत्याशियों को टिकट देकर मैदान में उतारा, जिसका प्रभाव चुनाव में उल्टा पड़ा।

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जाटों की नाराजगी से बीजेपी के जाट प्रत्याशी तो मात खा गए, साथ ही इससे गैर जाट में भी विपरीत मेसेज गया, जिसका खामियाजा परिणाम में भुगतना पड़ा और 75 पार का नारा देने वाली बीजेपी 40 पर सिमट कर रह गई। इन परिणामों ने बीजेपी के थिंक टैंक की नींद उड़ा दी है। 2014 में बहुमत में आने के बाद बीजेपी ने गैर जाट- मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया।

इसके पीछे की सियासी वजह यही मानी जाती है कि पार्टी की रणनीति गैर जाटों का ध्रुवीकरण करने की थी। बता दें कि हरियाणा में जाट हमेशा चौधर में रहा है। इसके चलते इस समुदाय को यह लगने लगा कि बीजेपी के आने से उनकी चौधर कहीं न कहीं दूर होती जा रही है। इसलिए यह समुदाय बीजेपी से छिटकने लगा। हुड्डा ने जो जगह बनाई वह यह कह कर ही बनाई कि अगर अपनी चौधर बरकरार रखनी है, तो राज्य में राजनीतिक ताकत भी हाथ में रखनी होगी।

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