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Up Kiran, Digital Desk: नमस्ते! ज्योतिष में ग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा असर होता है, और जब बात देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु की आती है, तो उनके प्रभाव को समझना और भी खास हो जाता है. आज हम जानेंगे कि अगर आपकी कुंडली में गुरु तीसरे भाव में हों, तो इसका आपके जीवन पर क्या असर पड़ सकता है – अच्छे और बुरे दोनों ही पहलुओं को देखेंगे और साथ ही कुछ आसान उपाय भी जानेंगे.

गुरु तीसरे भाव में: किस्मत का खेल और जीवन के रंग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीसरा भाव हमारे साहस, पराक्रम, छोटे भाई-बहनों, संचार कौशल (बातचीत का तरीका), छोटी यात्राओं और पड़ोसियों से संबंधों का स्थान माना जाता है. जब इस भाव में शुभ ग्रह बृहस्पति विराजमान होते हैं, तो यह कई मायनों में आपके लिए बेहद फलदायी हो सकता है.

शुभ प्रभाव: जब गुरु साथ दें

अगर आपकी कुंडली में गुरु तीसरे घर में अच्छी स्थिति में हैं, तो यकीन मानिए, आपको जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे.

  1. बातचीत में जादू: ऐसे लोग अपनी बातों से सबका मन मोह लेते हैं. उनका संवाद कौशल कमाल का होता है, जिससे वे लोगों को आसानी से प्रभावित कर पाते हैं. पढ़ाई-लिखाई में भी ऐसे लोग काफी तेज होते हैं.
  2. साहस और पराक्रम: गुरु की कृपा से ऐसे जातक काफी साहसी और निडर होते हैं. वे किसी भी चुनौती का सामना करने से घबराते नहीं. उनके अंदर गजब का आत्मविश्वास होता है, जो उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है.
  3. भाई-बहनों का साथ: तीसरे भाव में गुरु होने से आपके अपने छोटे भाई-बहनों के साथ रिश्ते मधुर बने रहते हैं. वे आपका हर कदम पर साथ देते हैं और आपके लिए मददगार साबित होते हैं.
  4. यात्राओं से लाभ: आपको छोटी दूरी की यात्राएं करने का खूब मौका मिलता है, और ये यात्राएं आपके लिए फायदेमंद भी साबित होती हैं. इनमें धार्मिक या आध्यात्मिक यात्राएं भी शामिल हो सकती हैं, जो आपको मन की शांति देती हैं.
  5. मान-सम्मान और प्रसिद्धि: ऐसे लोगों को समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है. उनकी बुद्धिमत्ता और अच्छे व्यवहार के कारण लोग उनका आदर करते हैं. उन्हें करियर में भी तरक्की मिलती है.
  6. ज्ञान और आध्यात्मिक झुकाव: गुरु ज्ञान के कारक हैं, और तीसरे भाव में उनका होना आपको ज्ञानी और आध्यात्मिक बनाता है. ऐसे लोग धर्म-कर्म में रुचि रखते हैं और दूसरों की मदद करने को हमेशा तैयार रहते हैं.

अशुभ प्रभाव: जब गुरु कुछ परेशान करें

हालांकि, अगर गुरु इस भाव में पीड़ित या कमजोर हों, तो इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.

  1. अहंकार और अति आत्मविश्वास: कभी-कभी ऐसे लोग अति आत्मविश्वासी हो जाते हैं, जिससे वे गलत निर्णय ले सकते हैं. अपने ज्ञान का अहंकार भी उन्हें दूसरों से दूर कर सकता है.
  2. भाई-बहनों से अनबन: पीड़ित गुरु होने पर भाई-बहनों के साथ रिश्तों में खटास आ सकती है या उनसे दूरी बढ़ सकती है.
  3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: कुछ मामलों में पाचन तंत्र या लिवर से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.
  4. व्यर्थ की यात्राएँ: कभी-कभी बेवजह की यात्राएँ करनी पड़ सकती हैं, जिनसे कोई खास लाभ नहीं होता, बल्कि थकावट ही होती है.

गुरु के आशीर्वाद के लिए आसान उपाय

अगर आपकी कुंडली में गुरु तीसरे भाव में हैं और आप उनके शुभ प्रभावों को बढ़ाना चाहते हैं या अशुभ प्रभावों को कम करना चाहते हैं, तो ये कुछ आसान उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

  1. बड़ों का सम्मान करें: अपने माता-पिता, गुरुजनों और अन्य सभी बड़ों का हमेशा सम्मान करें और उनकी सेवा करें.
  2. पीली वस्तुओं का दान: गुरुवार के दिन चने की दाल, हल्दी, बेसन, पीले वस्त्र या पीले फल जैसी चीजें दान करें.
  3. गुरुवार का व्रत: अगर संभव हो तो गुरुवार का व्रत रखें. इससे गुरुदेव प्रसन्न होते हैं.
  4. गुरु मंत्र का जाप: "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः" या "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का नियमित जाप करें.
  5. पीले रंग का प्रयोग: गुरुवार के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
  6. चरित्रवान बनें: अपने चरित्र को शुद्ध और निष्कलंक रखें. गुरु शुभता और नैतिकता के प्रतीक हैं.
  7. ब्राह्मणों का सम्मान: ब्राह्मणों और विद्वान व्यक्तियों का आदर करें और उनका सहयोग करें.

याद रखिए, ये उपाय केवल ज्योतिषीय मान्यताएँ हैं. अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मेहनत और सही दिशा में प्रयास सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. ज्योतिष बस एक मार्गदर्शन है, जो हमें अपनी क्षमताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है.

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