दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ये देश भगवान भरोसे है। हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी निर्माण मजदूरों को सहायता देने की मांग पर सुनवाई करते हुए की। अदालत ने कहा कि यदि निर्माण मजदूरों को कोरोना का संक्रमण होता है तो उन्हें चिकित्सा मदद दी जाए। जज विपिन सांघी ने कहा कि निर्माण मजदूरों की सहायता के लिए बनाए गए बोर्ड को इसके लिए भारी-भरकम प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं है।
सुनवाई के दौरान वकील श्येल त्रेहान ने निर्माण मजदूरों को चिकित्सकीय सहायता और दूसरी मदद करने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग एक्ट के अंतर्गत तीन हजार करोड़ रुपये का फंड है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्माण मजदूरों के लिए किचन के जरिये निर्माण मजदूरों को खाना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
तब अदालत ने कहा कि अभी आप चिकित्सकीय सहायता पर अपनी मांग सीमित कीजिए और बाकी बातों पर नहीं। तब त्रेहान ने कहा कि मजदूर युनियनों की चिंता ये है कि निर्माण मजदूरों के लिए बना फंड खत्म न कर दिया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि हम या मेहरा इसकी गारंटी कैसे दे सकते हैं।
अदालत ने कहा कि जो निर्माण मजदूर पहले से रजिस्टर्ड हैं, अगर वे आरटी-पीसीआर टेस्ट का सर्टिफिकेट देते हैं तो उन्हें चार से पांच हजार रुपये की सहायता दी जाए। कोर्ट ने कहा कि हमने पहले ही निर्देश दिया था कि इस योजना की घोषणा के समय जिन निर्माण मजदूरों का रजिस्ट्रेशन लंबित है उन्हें भी पांच हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दिया जाए।