नई दिल्ली॥ निर्भया कांड में प्रतिदिन नए मोड़ सामने आ रहे हैं। एक बार फिर चारों अपराधियों को बचाने के लिए एडवोकेट ने अपनी नई चाल चली है। अपराधियों को वकील एपी सिंह ने केंद्र की याचिका पर कहा है कि जल्दबाजी में न्याय का मतलब है न्याय को दफनाना।
साथ ही अपराधियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि चूंकि उन्हें एक ही आदेश के जरिए फांसी की सजा सुनाई गई है, इसलिए उन्हें एक साथ फांसी देनी होगी और उनकी सजा पर अलग-अलग वक्त पर क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मोदी सरकार की उस अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 4 अपराधियों की फांसी की सजा की तामील पर रोक को चुनौती दी गई है। जज सुरेश कैत ने कहा है कि अदालत सभी पक्षों की तरफ से अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद अपना फैसला सुनाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निर्भया के अपराधियों पर कानून का गलत प्रयोग करने का आरोप लगाया है। मेहता ने अदालत से कहा है कि दोषी सुनियोजित तरीक से मामले का आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
‘समाज और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए इन सभी अपराधियों को तुरंत फांसी पर लटकाने की आवश्यकता है’। उन्होंने बताया कि देरी के लिए दोषियों की ओर से जान-बूझकर प्रयास किए जा रहे हैं। तुषार मेहता ने कहा, ‘ये जानबूझ कर किया जा रहा है। ये न्याय के लिए हताशा की स्थिति है। इन्होंने एक लड़की का गैंगरेप किया था।’
जबकि अपराधियों को वकील एपी सिंह ने न्याय देने की जल्दबाजी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अपराधी गरीब, ग्रामीण और दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं अदालत को ये बात ध्यान में रखना चाहिए।