इस देश में कब्रिस्तानों के बाहर लगी लंबी लाइन, परिजनों को रोने की भी इजाज़त नही

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कोरोना का कहर चीन में ऐसा गिरा था कि उसको सँभालने का भी मौका नही मिला. आपको बता दें कि चीन में कोरोना का केंद्र बने वुहान में लॉकडाउन खुलने के बाद मृतकों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लोगों को न सिर्फ साधारण रूप से अपनों को दफनाने, बल्कि शवदाहगृह में रखी गई अस्थियों को भी ले जाने की इजाजत दी जा रही है।

हालांकि, वुहान ने झांग लिफांग जैसे प्रवासियों को ऐसा जख्म दिया है कि वे शहर का मुंह तक नहीं देखना चाहते। वहीं कब्रिस्तानों के बाहर लंबी लाइन लगी हैं और परिजनों को विलाप की इजाजत नहीं है।यात्रा प्रतिबंध हटते ही शेनजेन लौटने वाले लिफांग कहते हैं, ‘वुहान में मेरा दिल टूटा था। कभी सोचा भी नहीं था कि जिस पिता को ऑपरेशन के लिए वुहान ले गया था, उनके बिना ही घर लौटना पड़ेगा।

लिफांग ने आगे कहा कि अगर पिता की अस्थियां न लेनी हों तो मैं कभी वुहान में कदम रखने की सोचूं तक नहीं।’ दरअसल, झांग के पिता वुहान में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें शहर में मुफ्त चिकित्सकीय सेवा हासिल थी। हालांकि, ऑपरेशन के कुछ ही दिनों बाद वह कोरोना से संक्रमित हो गए और एक फरवरी को दम तोड़ दिया। झांग कहते हैं, ‘मैं नहीं जानता था कि वुहान में वायरस इस कदर फैल गया है। मुफ्त ऑपरेशन के नाम पर मैं अपने पिता को मौत के मुंह में ले गया। यह सोचकर मेरा मन दर्द और पश्चाताप की आग में जल उठता है।’

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