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Lucknow News : किसी भी भाषा का प्रसार एवं विकास लोक व्यवहार द्वारा होता है न कि सत्ता के प्रक्षय द्वारा। यह बात अक्षरशः हिन्दी पर भी लागू होती है। हिन्दी के वैश्विक प्रसार एवं विकास के लिए आवश्यक है कि हम अपना सारा कार्य व्यवहार हिन्दी में करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उक्त बातें बुधवार को हजरतगंज स्थित इण्डियन कॉफी हाउस में आधा आबादी सेना एवं उत्कर्ष लोक सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में वक्ताओं ने कही। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही पद्मश्री डा0 विद्या विन्दु सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक होने के कारण हिन्दी भाषा स्वतः ही विश्व में अपना स्थान बना रही है। आज यूरोप और अमेरिका समेत विश्व के अधिकांश विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग है और लाखों विद्यार्थी हिंदी भाषा और साहित्य का अध्ययन कर रहे हैं। अधिकांश देशों में हिन्दी बोली और समझी जाती है। डा0 विद्या विन्दु सिंह ने कहा कि हमें अपने घर और समाज में हिन्दी का ही व्यवहार करना चाहिए।

संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि अपनी वैज्ञानिक एवं लोक व्यवहारता के चलते हिन्दी आज उस स्थान पर पहुंच चुकी है कि दुनिया में इसकी उपेक्षा नहीं हो सकती। डिजिटल युग में हिन्दी का पताका विश्व में फहरा रहा है। श्री भदौरिया ने कहा कि आवश्यकता है कि हमारे देश की राजभाषा भी हिन्दी हो।

संगोष्ठी में बतौर विशिष्ठ अतिथि बोलते हुए अशोक सिन्हा ने कहा कि हिन्दी के बिना हिदुस्तान की कल्पना नहीं की जा सकती। इसके बावजूद देश में तेजी से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम भारतीयों की अंग्रेजी और अंग्रेजियत के प्रति दीवानगी चिन्ताजनक है। श्री सिन्हा ने कहा कि हमें अपने बच्चों को हिन्दी में कार्य व्यवहार के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे पूर्व संगोष्ठी में विषय परिवर्तन करते हुए मशहूर वक्ता प्रेमकांत तिवारी ने वैदिक संस्कृत से लेकर आधुनिक हिन्दी पर प्रकाश डाला। श्री तिवारी ने कहा कि पिछली एक सदी में हिन्दी विश्व भाषा बन चुकी है। हिन्दी सिनेमा और वैश्विक व्यापार ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। हिन्दी के वैश्विक प्रसार की गति और तीव्र हो रही है।

बतौर मुख्य वक्ता डा0 नलिन रंजन सिंह ने कहा कि हिन्दी जन की भाषा है। यह हमारी पहचान है। दुनिया का कोई भी देश आज हिन्दी की उपेक्षा नहीं कर सकता। मल्टीनेशनल कंपनियों को व्यापार और कारोबार के लिए हिन्दी को अपनाना ही पड़ेगा।  संगोष्ठी को योगेन्द्रनाथ उपाध्याय, कुमुद श्रीवास्तव, कुमुदनी, सर्वेश कुमार सिंह, सुनीता, झिंगरन, वन्दना श्रीवास्तव, ‘वान्या‘, डॉ मनोज यादव, ओ0पी0सिन्हा, ओंकार सिंह और परिणीता सिंह आदि ने भी संगोष्ठी को सम्बोधित किया।

संगोष्ठी का प्रारम्भ वन्दना श्रीवास्तव ‘वान्या‘ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ। इसके बाद पद्मश्री विद्या विन्दु सिंह, नरेन्द्र भदौरिया एवं अशोक सिन्हा को साहित्य एवं समाज की सेवाओं के लिए स्मृति चिन्ह एवम अंगवस्त्र देकर अभिनन्दन किया गया। आधी आबादी सेना की अध्यक्ष अरूणा सिंह ने किया। अपने सम्बोधन में अरूणा सिंह ने कहा कि संप्रेषणीय क्षमता के कारण हिन्दी की वैश्विक उपयोगिता है। दुनिया के किसी भी देश या कम्पनी को व्यापार के लिए हिन्दी में व्यवहार करना ही होगा। अरूणा सिंह ने कहा कि अब भारत सरकार को हिन्दी को संयुक्त राष्ट्रसंघ की अधिकारिक भाषा बनाने की पहल करनी चाहिए। उत्कर्ष लोक सेवा संस्थान के सचिव मृदुल कुमार सिंह ने सभी आगत अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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