Up Kiran, Digital Desk: हम भारतीयों के लिए हर महीने आने वाली पूर्णिमा का अपना एक ख़ास महत्व है, लेकिन जब बात मार्गशीर्ष पूर्णिमा की आती है, तो इसकी महिमा और भी बढ़ जाती है. इसे "मोक्षदायिनी पूर्णिमा" के नाम से भी जाना जाता है, यानी वो दिन जो पापों से मुक्ति और मोक्ष दिलाता है. अगर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा का ये पावन अवसर आपके लिए बेहद ख़ास होने वाला है. आइए, जानते हैं 2025 में ये शुभ दिन कब पड़ रहा है और आप इसे कैसे खास बना सकते हैं.
कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त!
इस साल, यानी 2025 में, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पर्व रविवार, 14 दिसंबर को मनाया जाएगा.
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 13 दिसंबर 2025 को शाम 04 बजकर 32 मिनट से पूर्णिमा तिथि का समापन: 14 दिसंबर 2025 को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक
चूंकि पूर्णिमा का स्नान और दान उदय तिथि के आधार पर किया जाता है, इसलिए मुख्य रूप से ये पर्व 14 दिसंबर को ही मनाया जाएगा.
स्नान-दान का शुभ समय
14 दिसंबर, 2025 को सुबह 05 बजकर 21 मिनट से सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक. यह समय पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
पूजा के लिए शुभ योग: रवि योग (Ravi Yoga)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह से ही रवि योग रहेगा, जो दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक चलेगा. रवि योग में पूजा-पाठ और कोई भी शुभ कार्य करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और कामों में सफलता मिलती है.
चंद्रोदय और लक्ष्मी पूजा का समय (Moonrise and Lakshmi Puja Time)
शाम को चंद्रोदय करीब 04 बजकर 30 मिनट पर होगा. इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. चंद्रोदय के बाद, शाम के समय मां लक्ष्मी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत ही शुभ माना जाता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर क्या करें?
- पवित्र स्नान: इस दिन किसी भी पवित्र नदी, खासकर गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है. अगर नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे सभी पाप धुल जाते हैं.
- दान-पुण्य: स्नान के बाद गरीबों और ज़रूरतमंदों को दान करें. तिल, कंबल, गरम कपड़े, अन्न और गुड़ का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. ऐसा करने से घर में बरकत आती है और शुभ फल प्राप्त होते हैं.
- मां लक्ष्मी की पूजा: मार्गशीर्ष पूर्णिमा की शाम को देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना करें. दीप जलाएं, माता को लाल वस्त्र, कमल का फूल और खीर का भोग लगाएं. मान्यता है कि इससे घर में धन और वैभव का वास होता है.
- भगवान सत्यनारायण की कथा: इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना और करवाना बहुत शुभ माना जाता है. यह कथा जीवन के कष्टों को दूर करती है और मनोकामनाएं पूरी करती है.
- चंद्रमा को अर्घ्य: शाम को चंद्रोदय होने पर कच्चे दूध, गंगाजल और अक्षत (चावल) मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य ज़रूर दें. चंद्रमा शीतलता और मानसिक शांति का प्रतीक है. इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का ये दिन अपने आप में कई गुना फल देने वाला होता है. इस दिन की गई थोड़ी सी भक्ति और सेवा आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है. तो इस शुभ अवसर को हाथ से जाने न दें और अपनी श्रद्धा के अनुसार इन उपायों को अपनाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें.
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