Up Kiran, Digital Desk: हम में से बहुत से लोगों के मन में अपने परिवार को लेकर कुछ सपने होते हैं, कुछ ख़ास तरह की इच्छाएं होती हैं. खासकर बच्चों के मामले में, अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता के मन में ये रहता है कि 'अगर घर में एक बेटा भी हो जाए तो परिवार पूरा हो जाएगा'. ये सोच उन माता-पिता में ज़्यादा देखी जाती है जिनके पहले से एक या दो बेटियां हैं और अब वे एक बेटे की आस लगाए बैठे हैं.
पर क्या कभी हमने इस बात पर गहराई से सोचा है कि ये चाहत सही है या बस समाज की बनाई एक पुरानी सोच? इसी विषय पर वृंदावन के संत, पूजनीय प्रेमानंद महाराज ने एक बहुत ही मार्मिक और विचारशील संदेश दिया है, जिसे हर मां-बाप को सुनना चाहिए.
जब बेटियों से घर में खुशहाली हो, तो 'बेटे की चाहत' क्यों?
प्रेमानंद महाराज अक्सर कहते हैं कि हर माता-पिता को इस बात पर गहराई से सोचना चाहिए. अगर आपके घर में लक्ष्मी रूपी दो बेटियां पहले से हैं और आप खुशहाल जीवन जी रहे हैं, तो 'अब एक बेटा ही चाहिए' — ये सोच कहां तक उचित है?
महाराज का कहना है कि आप अपनी बेटी के प्रेम को देखिए. उसके बचपन को देखिए. अगर आप अपने बच्चों को लेकर 'असंतोष' में जीते रहेंगे, यानी आपके पास जो है, उसमें खुश नहीं रहेंगे, तो भला भगवान आपको और क्या देंगे? भगवान से और कुछ मांगना या इस उम्मीद में जीना कि "हमें तो एक बेटा चाहिए" – ये बात बिल्कुल सही नहीं है.
संतोष ही है सबसे बड़ा सुख
प्रेमानंद महाराज हमें संतोष का पाठ पढ़ाते हैं. उनका संदेश साफ है: हमें भगवान ने जो दिया है, उसी में संतोष रखना चाहिए. अगर आपने प्रभु से जो मांगा है, वही आपको मिल रहा है, तो अच्छी बात है. लेकिन अगर भगवान ने अपनी कृपा से आपको बेटियां दी हैं और वे आपके घर में प्रेम और खुशियां भर रही हैं, तो भला उन्हें कमतर क्यों समझा जाए?
महाराज कहते हैं कि आप पहले से ही बेटियां पाकर 'धनी' हैं. फिर भी अगर मन में यही लालसा बनी रहे कि "नहीं, मुझे तो एक बेटा ही चाहिए," तो यह आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों दृष्टि से ठीक नहीं है. जब मन ही अशांत रहेगा और वर्तमान में जो है, उससे खुश नहीं रहेगा, तो सच्चा सुख भला कैसे मिलेगा?
बेटियां भी कुल का मान बढ़ाती हैं. उनकी अच्छी परवरिश, उनके संस्कार, उनकी शिक्षा, ये सब ही किसी परिवार के लिए गर्व का विषय होते हैं. एक बच्चा चाहे बेटा हो या बेटी, वो ईश्वर का अनमोल उपहार है. हमें इस उपहार को उसके लिंग के आधार पर नहीं तोलना चाहिए.
तो अगर आप भी ऐसे माता-पिता हैं जो बेटियों के बाद एक बेटे की कामना कर रहे हैं, तो प्रेमानंद महाराज के इन विचारों पर ज़रूर गौर करें. शायद आपकी जीवन दृष्टि में एक सुंदर बदलाव आ सके, और आप अपने वर्तमान परिवार के साथ पूर्ण संतोष और आनंद का अनुभव कर पाएं.

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