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Up Kiran, Digital Desk: एक दौर भी था जब Sony, Panasonic और Toyota हर घर की पहचान थे। आज भारत आगे निकल गया है और जापान अपनी ही परछाई ढूंढ रहा है। 1980 का दशक था। जापान अपने आर्थिक शिखर पर था। हर अख़बार, हर मैगज़ीन, हर कॉर्पोरेट रिपोर्ट में एक ही चर्चा थी—जापान का मॉडल दुनिया के लिए आदर्श बन गया है। जापानी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता, अनुशासन और मैन्युफैक्चरिंग की ताकत ने देश को ‘एशिया का अमेरिका’ बना दिया था। लेकिन 2025 आते-आते हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।
IMF की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की GDP $4.187 ट्रिलियन हो चुकी है। वहीं जापान $4.186 ट्रिलियन पर सिमट गया है। एक दशक पहले तक यह कल्पना करना भी मुश्किल था।
1990: जब बुलबुला फूटा और जापान ठहर गया
जापान की कहानी उस बुलबुले से शुरू होती है जो 1980 के दशक में रियल एस्टेट और शेयर बाजार में बना था। उस समय टोक्यो की जमीन इतनी महंगी हो चुकी थी कि कहा जाता था कि इंपीरियल पैलेस की कीमत पूरे कैलिफ़ोर्निया से ज्यादा है। लेकिन यह ग्रोथ स्थायी नहीं थी।
1990 में जब ये 'एसेट बबल' फूटा, तो शेयर बाजार धराशायी हो गया, प्रॉपर्टी की कीमतें 80% गिर गईं, बैंकों के पास डूबे कर्जों का अंबार लग गया और उपभोक्ता खर्च ठप हो गया।
इसके बाद शुरू हुआ जापान का ‘लॉस्ट डिकेड’—जो असल में दो दशक लंबा चला। विकास रुका, वेतन स्थिर रहे, निवेश ठहर गया। जापान इस झटके से कभी पूरी तरह उबर ही नहीं पाया।
जनसंख्या: एक मौन सुनामी
2025 में जापान की आबादी लगभग 12.5 करोड़ है, जिनमें से 28% लोग 65 साल से ऊपर हैं। जन्म दर 1.3 है, जो रिप्लेसमेंट रेट 2.1 से काफी नीचे है। इसका असर तीन बड़े स्तरों पर दिख रहा है। युवा कामकाजी आबादी घट रही है। कंपनियों को स्किल्ड श्रमिक नहीं मिल रहे। पेंशन और हेल्थकेयर खर्च बढ़ते जा रहे हैं। बूढ़ी आबादी की खपत कम होती है, जिससे रिटेल, रियल एस्टेट और सेवाओं पर असर पड़ा है। इसके उलट भारत और अमेरिका जैसे देश युवा आबादी और प्रवास के दम पर आर्थिक ऊर्जा बनाए हुए हैं।
टेक्नोलॉजी की रेस में पीछे छूटता जापान
कभी Sony और Toshiba टेक्नोलॉजी की पहचान थे। आज़ मोबाइल में Samsung और Apple हावी हैं। AI और क्लाउड में अमेरिका और चीन आगे हैं। EV की रेस में Tesla और BYD तेज हैं। Toyota जैसी कंपनियां EV ट्रेंड में पीछे छूट गईं।
जापान ने हार्डवेयर पर फोकस रखा लेकिन दुनिया सॉफ्टवेयर, डेटा और डिजिटल सर्विसेज की तरफ भाग गई। भारत जैसे देश अब फिनटेक, UPI, और डिजिटल इनोवेशन में जापान से आगे हैं।
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