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शाम के करीब सात बज रहे थे। ट्रेन में लोग सफर कर रहे थे। कोई अपने घर तो कोई किसी यात्रा पर। कोई किसी और काम से अपने सफर पर निकला हुआ था। किसी ने सोचा नहीं था कि शाम इतनी भयानक होगी कि सब खत्म हो जाएगा। किसी ने नहीं सोचा होगा कि ट्रेन का सफर आखिरी सफर होगा। अचानक रेलवे ट्रैक पर तीन ट्रेनें आपस में टकरा गई और चारों तरफ चीख पुकार मच गई।
लोगों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हजार से भी ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। 280 से भी ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। दुर्घटना में 288 लोगों की मौत हो गई। ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। घटना स्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है।
अब मलबा हटाने का तेजी से काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि ट्रेन दुर्घटना के बाद जिस व्यक्ति ने सबसे पहले एमरजेंसी सेवाओं को इन्फॉर्म किया था वो कोई और नहीं बल्कि एनडीआरएफ के एक जवान वेंकेटेश थे। हादसे वाले दिन 2 जून की शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे।
एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश अपनी छुट्टी के चलते पश्चिम बंगाल के हावड़ा से तमिलनाडु जा रहे थे। वो थर्ड एसी कोच में थे और उनकी सीट संख्या 58 थी। इसी दौरान उनका कोच बी सेवन पटरी से उतर गया था लेकिन आगे के कोचों से नहीं टकराया। इसलिए वह सुरक्षित बच गए थे। एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश के अनुसार, जैसे ही उन्होंने एक तगड़ा झटका महसूस किया और अपने कोच में कुछ लोगों को गिरते देखा तो उन्होंने सबसे पहले बटालियन में अपने सीनियर अफसर को फोन करके दुर्घटना के बारे में बताया।
इसके बाद वेंकटेश ने व्हाट्सअप पर एनडीआरएफ को लाइव लोकेशन भेजी और बचाव दल ने इस लोकेशन से मौके पर पहुंचने का काम किया। वेंकटेश ने कहा कि जैसे ही मुझे दुर्घटना के बारे में पता चला, मैं तुरंत लोगों की मदद के लिए दौड़ पड़ा। मैंने बचाव दल के आने से पहले कोच में जाकर एक शख्स को निकाला और उसे एक दुकान में आराम से बिठाया और फिर दूसरों की मदद के लिए निकल पड़ा।
डिब्बे में फंसे लोगों को बचाने के लिए किया मोबाइल टॉर्च का इस्तेमाल
साथ ही जवान ने बताया कि उन्होंने घायल और फंसे हुए यात्रियों को ढूंढने के लिए मोबाइल टॉर्च का इस्तेमाल किया और सभी यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके अलावा उनकी एक मेडिकल दुकान के मालिक और लोकल लोगों ने रेस्क्यू में बहुत सहायता की।