लखनऊ।। राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत ने भाजपाइयों में उत्साह भर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात बात करते हुए जहाँ जीत पर अपनी पीठ थपथपाई वहीँ वो इस मौके पर बीएसपी को भी नसीहत देते हुए नजर आये। सीएम योगी ने संकेतों में कहा कि सपा ने बसपा के साथ धोखा किया है। उसे भविष्य के लिए सचेत हो जाना चाहिए।उप-चुनाव में अपने प्रबंधन से जीतने वाली बीजेपी के लिए बुरी खबर है।
हालाँकि गोरखपुर और फूलपुर उप-चुनाव में जीत के बाद से परवान चढ़ रही सपा और बसपा गठबंधन की उम्मीदें राज्यसभा चुनाव के नतीजों से कितना प्रभावित होंगी, यह देखने की बात होगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश चाहकर भी मायावती को रिटर्न गिफ्ट नहीं दे सके, इसलिये अब सभी की निगाहें मायावती पर टिकी हैं। अब आने वाले विधान परिषद चुनाव में एसपी और बीएसपी की क्या रणनीति होगी इसपर बीजेपी के रणनीतिकारों की नजर है।
हालाँकि कयास ये लगाए जा रहे थे कि उप-चुनाव के बाद राज्यसभा के इस चुनाव में आगामी आम चुनावों के लिये विपक्ष की एकता की संभावनाएं कसौटी पर हैं। गोरखपुर और फूलपुर उप-चुनाव में सपा को समर्थन करते समय बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि सब कुछ सशर्त ही हो रहा है। बताया जा रहा है इन शर्तों में यह तय था कि उप-चुनाव में बीएसपी समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करेगी और बदले में समाजवादी पार्टी के विधायक राज्यसभा चुनाव में उसे वोट देंगे।
राज्यसभा चुनाव के बाद बाद बीएसपी विधान परिषद चुनाव में सपा के दो उम्मीदवारों को सपोर्ट करेगी। उधर कहा जा रहा है की कांग्रेस के साथ भी समझौता था कि राज्यसभा चुनाव में समर्थन के बदले में उसे मध्य प्रदेश के विधान परिषद चुनाव में समर्थन मिलेगा। बीएसपी ने अपना वायदा निभाते हुये अपने वोट सपा को ट्रांसफर कराये जिससे बीते 14 मार्च को उप-चुनाव सपा दोनों सीटें जीतने में सफल रही थी।
राज्यसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस दोनों ने बीएसपी उम्मीदवार भीम राव अंबेडकर के पक्ष में एड़ी चोटी का जोर भी लगाया और रालोद भी उनके साथ ही रही लेकिन कोर्ट के आदेश और भाजपाई प्रबंधन के आगे सब मिलकर भी बीएसपी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित नहीं कर सके। हालाँकि बसपा को इस हार से झटका तो लगा है लेकिन पार्टी नेता इस हार के पीछे बीजेपी द्वारा धनबल का प्रयोग और मतगणना में धांधली को मानते हैं।
हार के लिये सपा पर बसपा नेताओं द्वारा निशाना न साधते हुये इस तरह का बयान देने से स्पष्ट तौर पर माना जा रहा है कि भले ही बीएसपी प्रत्याशी हार गया हो लेकिन भविष्य में गठबंधन की संभावनायें खत्म नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि अब विधान परिषद चुनाव में बीएसपी और एसपी के रिश्तों की परीक्षा होगी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि हार अपनी जगह है लेकिन विपक्ष ने इस चुनाव में एकजुटता का परिचय दिया है। इससे भाजपा के खिलाफ सभी दलों की एकता को और मजबूती मिलेगी।
वहीँ बीएसपी के सूत्रों का भी ये कहना है कि सपा और बसपा का गठबंधन प्रदेश और देश की आम जनता चाहती है। इसलिए इस चुनाव का गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका ये भी मानना है कि राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी ने भारी धांधली की है। बीएसपी भाजपा के मंसूबों से भलीभांति अवगत है और वो अब उसके किसी भी झांसे में नहीं आने वाली।