BJP के खिलाफ जा सकती है नीतीश सरकार, नागरिकता बिल को लेकर पार्टी में दरार

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नागरिकता बिल को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल भी खुलकर सामने आ रहे है. जिसकी वजह से सरकार में बैचेनी बढ़ गई है. बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पारित हो जाने के बाद अब यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. लोकसभा में जेडीयू ने इस बिल का समर्थन करते हुए इसे पारित कराने में केंद्र का समर्थन किया था.


दरअसल, अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन से पार्टी के अंदर ही अब खलबली मच गई है.जहां नीतीश कुमार के बिल के समर्थन करने के फैसले का पहले पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने विरोध किया और वहीं अब पवन वर्मा ने भी पार्टी के इस फैसले पर सवाल उठाए.

अब पूर्व राज्यसभा सांसद और जदयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने भी नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उनके इस बिल के समर्थन करने के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं.नीतीश कुमार को लिखे पत्र में गुलाम रसूल बलियावी ने कहा, नीतीश की छवि हमेशा उस नेता की रही है, जो उसने गलत को गलत कहा है, चाहे वह बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का मामला हो या फिर तीन तलाक, धारा 370 या फिर एनआरसी.

‘CAB पर गंभीरता से करें विचार’

बलियावी ने पत्र में लिखा, संविधान विरोधी प्रस्ताव को नकारना और हर संप्रदाय और भारतीय नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों के समर्थन में आना ही नीतीश कुमार की पहचान रही है. नीतीश को लिखे पत्र में गुलाम रसूल बलियावी ने कहा, जेडीयू के नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने से अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के बीच में काफी बेचैनी और परेशानी पैदा हो गई है. बलियावी ने नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने के अपने फैसले पर वह गंभीरतापूर्वक पूर्ण विचार करें.

‘बिल जदयू के मूल विचारों के खिलाफ’

बता दें कि पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनाव सलाहकार प्रशांत किशोर ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर दुख व्यक्त किया था. प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से दुखी हूं.

वहीं, जदयू प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने भी बिल का विरोध किया और नीतीश कुमार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा. पवन कुमार वर्मा ने ट्वीट कर लिखा, मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर समर्थन पर दोबारा विचार करें. ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है. ये बिल जदयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं, गांधी जी इसका पूरी तरह से विरोध करते.

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