दलितों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी की नई रणनीति

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लखनऊ :उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक मायावती की राजनीति का आधार है !अन्य पार्टियां भी अपने संगठन में अनुसूचित जाति के लिए कोई न कोई मोर्चा या इ़काई बनाकर दलितो को साधने का प्रयास करती हैं ! लेकिन समाजवादी पार्टी में अभी तक इस तरह का कोई सहायक संगठन नही था ! अब मायावती की नीव हिलाने के मकसद से सपा ने भी चरखा दाँव का इस्तेमाल किया है !

चुनावी सरगर्मी के बीच समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की नई विंग समाजवादी बाबा साहेब वाहिनी गठित कर दी है। बसपा से आए पुराने नेता मिठाई लाल भारती को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। सपा के इस निर्णय के पीछे दलित वोटरों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है। मिठाई लाल भारती कुछ समय पहले बसपा छोड़ कर सपा में शमिल हुए थे। बलिया के रहने वाले मिठाई लाल भारती बसपा के पूर्वांचल के जोनल कोआर्डिनेटर भी रहे चुके हैं। सपा अध्यक्ष ने मिठाई लाल भारती से जल्द वाहिनी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनाने को कहा है।

अखिलेश यादव ने इस साल अप्रैल में ट्वीट कर कहा था कि संविधान निर्माता आदरणीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के विचारों को सक्रिय कर असमानता व अन्याय को दूर करने और सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश व देश के स्तर पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लेते हैं। उन्होंने 14 अप्रैल को ही दलित दीपावली मनाने का भी ऐलान किया था। असल में सपा अब पिछड़ों के अलावा दलितों में अपना विस्तार करना चाहती है।

लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठजोड़ के बावजूद दलित वोट अपेक्षानुसार सपा प्रत्याशियों को नहीं गए। यह शिकायत सपा नेताओं को रही है। इसलिए अब सीधे बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी है। अब चुनौती यह होगी कि नवगठित वाहिनी कितने प्रभावी तरीके से चुनाव में काम कर पाती है।

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