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महराजगंज. उत्तर प्रदेश में आए दिन सरकारी भर्तियों में कई प्रकार के घोटाले सामने आ रहे है, इसी क्रम में एक ऐसा भी फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमे आउटसोर्सिंग कंपनी के साथ मिलीभगत कर के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने, एक कंप्यूटर ऑपरेटर को उक्त पद के लायक नहीं बता कर बाहर दिया गया. विभाग की तरफ से कहा गया कि बैजनाथ गौड़ कार्यलय में उपस्थित हुए लेकिन इंटरव्यू के दौरान पाया गया कि उन्हें किसी प्रकार का कंप्यूटर ज्ञान नहीं है. और इतना ही नहीं उन्हें टाइपिंग भी नहीं आती है. जिसकी वजह से इनको कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा सकता है.

 

क्या है मामला

13 नवंबर 2018 को एक आउटसोर्सिंग कंपनी आरआरबी कॉर्पोरेट सर्विस द्वारा बैजनाथ कुमार गौड़ को एक नियुक्ति पत्र जारी किया जाता है, जिसमे कहा जाता है कि वो दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किये जाते है. जिसके बाद दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने 25 जनवरी 2019 को एक पत्र जारी करते हुए कहा कि बैजनाथ इस पद के लायक नहीं, अतः इनसे कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा सकता है. लेकिन कुछ ही समय बाद बैजनाथ को इस पद के लायक बता कर बैक डेट में एक पत्र जारी करते हुए दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग उन्हें अपने पद पर योगदान देने को कहा , हालांकि इस दौरान उक्त पद के लिए फ़र्ज़ी तरीके से वेतन भी जारी होता रहा.

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गौरतलब है कि आउटसोर्सिंग कंपनी और दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की मिलीभगत से विभाग को हजारों- लाखों का चुना लगाया जा रहा है. वहीं बताया जाता रहा है कि जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी आईटी कंपनियों की तरह वर्क फ्रॉम होम ( घर से काम) जैसी सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. वहीं प्रदेश सरकार कई बार सख्त रूप से कह चुकी है कि सभी अधिकारी समय से दफ्तर में मौजूद रहें। एक सरकारी और महत्वपूर्ण पद बैठे ऐसे अधिकारी का रवैया ही अपने आप में ही बहुत कुछ कह रहा है.

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यूपी किरण के पास ऐसे कई दस्तावेज़ मौजूद है जिसमें दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के इस कारनामे की पुष्टि होती है.

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