नागरिकता बिल को लेकर एक तरफ जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे है, वहीं हंगामे और विवादों के बीच नागरिकता संशोधन बिल सोमवार रात को लोकसभा में पास हो गया. पड़ोसी देश पाकिस्तान ने ‘नागरिकता संशोधन बिल’ को भेदभावकारी बिल करार देकर इसका विरोध किया है.
वहीं पाकिस्तान इस बिल पर कहा कि यह बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि लोकसभा द्वारा पारित नागरिकता से जुड़े संशोधित बिल में पाकिस्तान और दो अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुस्लिमों को छोड़कर सभी धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है जोकि पूरी तरह गलत है. यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले तमाम अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है.
विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया, यह गलत मंशा से धर्म के जरिए पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप करने का तरीका है जिसे हम पूरी तरह से खारिज करते हैं.
पाकिस्तान ने कहा, यह भी निंदनीय है कि भारत पड़ोसी देशों के कथित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के ठिकाने के तौर पर खुद को पेश करता है. गुजरात दंगे, समझौता एक्सप्रेस नरसंहार, गोरक्षकों द्वारा लिचिंग, घर वापसी और लव जिहाद जैसी स्कीम, सिख, जैन और ईसाइयों के खिलाफ हिंसा, यहां तक कि दलितों का उत्पीड़न. ये सब कट्टर हिंदूवादी विचारधारा द्वारा शासित न्यू इंडिया की पहचान हैं.
पाकिस्तान ने इसके बाद कश्मीर का जिक्र किया और आरोप लगाया कि भारतीय सेना द्वारा कश्मीरियों का उत्पीड़न भी अतिवादी विचारधारा का ही उदाहरण है.
पाकिस्तान ने बयान में कहा कि बहुसंख्यकवादी एजेंडे से प्रेरित इस बिल ने दुनिया के सामने आरएसएस-बीजेपी की धार्मिक चरमपंथी मानसिकता और मुस्लिमों के प्रति उनकी नफरत को सामने ला दिया है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है. इसके साथ ही इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक के रूप में नहीं माना जाएगा.