इस दवा से उठकर खड़ा हो गया CORONA का मरीज, जिंदा रहने की नहीं थी कोई उम्मीद!

img

नई दिल्ली ।। CORONA__VIRUS चीन से निकलकर पूरे संसार को अपनी चपेट में ले चुका है। CORONA__VIRUS हर दिन हजारों की संख्या में लोगों की जान ले रहा है। CORONA__VIRUS ने सबसे अधिक तबाही अमेरिका में मचाई है। CORONA__VIRUS से यहां 37 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं संक्रमित लोगों की संख्या में भी अमेरिका सबसे आगे है। विश्व का सबसे शक्तिशाली CORONA__VIRUS की वजह से बेबस नजर आ रहा है।

हालांकि पूरे विश्व के वैज्ञानिक दिन रात इसकी वैक्सीन ढूंढने की कोशिश में जुटे हैं। फिलहाल अब तक इसकी कोई सटीक दवा नहीं बन सकी है। लेकिन कुछ दवाओं ने CORONA__VIRUS से निजात दिलाने में बहुत हद तक सफलता पाई है। हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के बाद अब डॉक्टरों में एक और दवा को लेकर आशा जगी है। इस दवा का नाम है रेमदेसवीर। इस दवा के कोरोना संक्रमित को बहुत लाभ हुआ है।

दरअसल, अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कम्पनी गीलीड साइंसेस इंक में बनी दवा रेमदेसवीर से CORONA__VIRUS के गंभीर रोगियों को 6 दिन में लाभ हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन में दवा पर शोध चल रहा है जहां डॉक्टरों को बेहतर परिणाम दिखे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के संक्रामक रोग विभाग की डॉ. कैथलीन मुलाने रेमदेसवी दवा का ट्रायल कर रही हैं।

डॉ मुलाने के अनुसार, CORONA__VIRUS के उपचार के लिए 125 संक्रमित मरीजों का चयन किया गया था जिसमें से 113 पूरी तरह से स्वस्थ्य हो चुके हैं। अधिकतर मरीजों को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है। वहीं कुछ गंभीर रूप से बीमार मरीज भी इस दवा से ठीक होकर घर लौट गए हैं।

पढ़िए- ये देश कोरोना से हुई मौत के लिए चीन से लेगा बदला! कहा- अगर…

डॉ मुलाने ने बताया कि इस ट्रायल में केवल तीन मरीज ही हैं ऐसे हैं जिनको दस दिन का इलाज दिया गया। अभी दो का इलाज चल रहा है। कुछ की मौत भी हुई है। उन्होंने बताया कि इबोला के संक्रमण में भी दवा का परीक्षण हुआ था। इसी के बाद कुछ जानवरों पर अध्ययन में पाया गया कि ये दवा सार्स व मर्स के साथ CORONA__VIRUS के उपचार में भी प्रयोग हो सकती है।

दवा बनाने वाली कम्पनी का कहना है कि अभी दुनियाभर से आ रही रिपोर्ट और आंकड़ों का शोध जरूरी है तभी इसकी पुष्टि हो सकती है कि दवा CORONA__VIRUS के इलाज में कितनी कारगर है। कम्पनी का कहना है कि अभी सिर्फ एक स्थान से आए आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। बता दें कि दवा को लेकर पूरी दुनिया के 169 अस्पतालों में अध्ययन चल रहा है।

Related News