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Punjab News: पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दस नेशनल हाईवों पर 13,190 करोड़ रुपये की कई परियोजनाएं हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण लंबित हैं।

इस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. अदालत ने मुख्य सचिव से कड़ा जवाब मांगा है. कहा- हलफनामा दायर कर बताएं कि पिछले साल अक्टूबर में दिए गए आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया। एनएचएआई को जमीन पर कब्जा क्यों नहीं दिया गया?

एनएचएआई ने भारतमाला परियोजना के तहत मेमदपुर (अंबाला) - बनूर (आईटी सिटी चौक) - खरड़ (चंडीगढ़) कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। कोर्ट को बताया गया कि जमीन न मिलने के कारण दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे, लुधियाना-रूपनगर से खरड़ हाईवे और लुधियाना-बठिंडा हाईवे का काम लटका हुआ है।

कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में आदेश दिया था कि एनएचएआई संबंधित अधिकारी को अपूर्ण/लंबित परियोजनाओं की सूची प्रदान करे और मुख्य सचिव सक्षम प्राधिकारी को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश जारी करेंगे. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि दो माह के अंदर बिना किसी बाधा के एनएचएआई को कब्जा दे दिया जाए।

एनएचएआई ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उसे जमीन पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है. इसके कारण 34,193 करोड़ रुपये की लागत वाली 897 किलोमीटर की दूरी वाली 26 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं लंबित हैं। इसके अलावा 13,190 करोड़ रुपये की लागत से 391 किमी 10 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के लिए 80 प्रतिशत भूमि पर अभी तक कब्जा नहीं किया गया है।

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