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Rajasthan News: राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा गठित मंत्रियों की कमेटी ने नए जिलों की समीक्षा प्रक्रिया को करीब करीब पूरा कर लिया है। यह कमेटी उपचुनावों के बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर नवंबर में छोटे जिलों के भविष्य पर अहम फैसला लिया जाएगा। कमेटी का मानना है कि जिलों को कुछ मापदंडों के आधार पर मिलाकर प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में बने छोटे जिलों को खत्म करने की सिफारिश की गई है। मंत्रियों ने पूर्व आईएएस ललित के पंवार की रिपोर्ट के आधार पर जिलों की समीक्षा की है। जनसंख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से अहम जिलों को बनाए रखने की सिफारिश की जाएगी, ताकि लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखा जा सके।

प्रदेश में दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी जैसे छोटे जिलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी इन जिलों के निर्माण पर आपत्ति जताई थी। कमेटी का कहना है कि इतने छोटे क्षेत्रों को जिलों में शामिल करने से राज्य में 200 जिलों की संख्या हो जाएगी, जिससे प्रशासनिक समस्याएं और बढ़ सकती हैं।

कमेटी ने जिलों के पुनर्गठन पर अपनी अंतिम सिफारिशें तैयार कर ली हैं। पूर्व आईएएस पंवार की रिपोर्ट के आधार पर ये सिफारिशें की गई हैं। दूदू जिले के विवाद के कारण डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को संयोजक पद से हटा दिया गया है और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को इस जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे दूदू के विलय की संभावना बढ़ गई है। प्रदेश में पहले से ही 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए जा चुके हैं, जिससे कुल जिलों की संख्या 50 हो गई है।

सरकार को छोटे जिलों को समाप्त करने के प्रस्ताव पर 31 दिसंबर से पहले निर्णय लेना होगा। गंगापुर सिटी और सांचौर जैसे क्षेत्रों में पहले ही विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, और इस फैसले के कारण राजनीतिक विवाद बढ़ने की संभावना है। 
 

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