Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, आज का दिन भारतीय संगीत और हमारी संस्कृति के लिए बेहद गर्व का है। हम और आप जिस 'हनुमान चालीसा' को अक्सर अपने फोन या टीवी पर सुनते हैं, उसने इंटरनेट की दुनिया में एक ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसके आसपास भी बड़े-बड़े बॉलीवुड सुपरस्टार नहीं भटक पा रहे हैं।
टी-सीरीज की तरफ से यूट्यूब पर अपलोड की गई 'हनुमान चालीसा' ने 5 अरब (5 Billion) व्यूज का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है। आसान भाषा में कहें तो इसे 500 करोड़ बार देखा जा चुका है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला यह भारत का पहला वीडियो बन गया है।
गुलशन कुमार की भक्ति का चमत्कार
यह वीडियो इतना खास क्यों है? क्योंकि इसमें 'कैसेट किंग' स्वर्गीय गुलशन कुमार जी खुद भक्ति में लीन नजर आते हैं। 10 मई 2011 को अपलोड किया गया यह वीडियो आज लगभग 14 साल पुराना हो चुका है, लेकिन इसकी लोकप्रियता कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।
इस हनुमान चालीसा को अपनी जादुई आवाज दी है हरिहरन जी ने और इसका संगीत तैयार किया था ललित सेन ने। वीडियो का निर्देशन शंभू गोपाल ने किया था। आज यह वीडियो यूट्यूब के दुनिया भर में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले 'टॉप 10' वीडियो की लिस्ट में शामिल हो गया है। बड़े-बड़े पंजाबी पॉप स्टार्स हों या इंटरनेशनल सिंगर्स, संकटमोचन हनुमान जी के इस भजन के सामने सब फीके पड़ गए हैं।
सोशल मीडिया पर ‘भक्ति’ की लहर
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। लोग इसे भारतीय संस्कृति की जीत बता रहे हैं। यूट्यूब पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई है।
- एक यूजर ने लिखा- "मैं 5 अरब व्यूज पूरे होने के बाद यहां वापस आया हूं, एक भारतीय होने के नाते मुझे बहुत गर्व है।"
- वहीं दूसरे ने लिखा- "वाह! टी-सीरीज और भारत के लिए क्या शानदार पल है। यह वीडियो मन को शांति देता है।"
यह साबित करता है कि लोगों के लिए यह महज एक वीडियो नहीं, बल्कि सुकून और उम्मीद की एक किरण है।
बेटे भूषण कुमार हुए भावुक
अपने पिता की इस ऐतिहासिक कामयाबी पर टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने कहा, "हनुमान चालीसा हम सभी के दिलों में बसती है। मेरे पिता गुलशन कुमार ने अपनी पूरी जिंदगी भक्ति संगीत को घर-घर पहुंचाने में लगा दी। आज यह 5 अरब का आंकड़ा उनकी उसी सोच और मेहनत का फल है। यह सिर्फ एक डिजिटल रिकॉर्ड नहीं है, यह करोड़ों लोगों की अटूट आस्था का प्रमाण है।"
वाकई, यह खबर बताती है कि तकनीक चाहे कितनी भी आगे बढ़ जाए, लेकिन जड़ों से जुड़ाव और आस्था का स्थान हमेशा सबसे ऊपर रहेगा।
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