यूपीएसआईडीसी में बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिये MD रणवीर प्रसाद ने बदल दिये ये नियम

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लखनऊ।। यूपीएसआईडीसी (UPSIDC) प्रापर्टी डीलिंग और कमीशन खोरी का अड्डा बन कर रह गया है। यहाँ विभाग के MD रणवीर प्रसाद ने मंत्री सतीश महाना को अंधेरे में रखकर न केवल भूखंडों की खरीद-फरोख्त की खुली छूट दे दी। इससे विभाग को करीब 1200 से 1500 करोड़ की चपत लगी है। जानकार यह भी मानते हैं कि यह पहली बार हो रहा है कि MD अपने ही नियमों को बनाते हैं और फिर उसे ही बदल देते हैं।

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क्या है पूरा मामला

प्लाट आवंटन और ट्रांसफर का खेल पुराना है। इसमें सबसे अधिक कमीशनखोरी भूखंडों के ट्रांसफर में ही होती है। UPSIDC के सूत्रों की माने तो 2 मई 2017 को नये MD रणवीर प्रसाद ने एक स्टाफ-मीटिंग रखी थी। इस मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि UPSIDC के जो भूखंड वर्षों से आवंटित हैं और रिक्त पड़े हुए हैं। उन भूखंडों को आवंटन की शर्तों पर नियमतः निरस्त करते हुए आवंटियों से कब्ज़ा वापस ले लिया जाये।

मंत्री से भी ली वाह-वाही

बैठक में मौजूद लोग बताते हैं कि यहां लिये गये निर्णय से मंत्री सतीश महाना भी अवगत हुये थे। मंत्री महाना ने इसका स्वागत करते हुए प्रदेश के औद्योगिक हित में बताते हुए इसे प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए एक जरूरी कदम बताया था। इसके बाद MD रणवीर प्रसाद के इस निर्णय को लेकर मीडिया में सुर्खियां भी बटोरी गयीं थी।

इस आदेश के बाद निगम के सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों ने मिलकर लगभग 150 से 200 भूखंडों का आवंटन निरस्त करके आवंटियों से कब्जा वापस भी ले लिया गया लेकिन इसके बाद अचानक MD रणवीर प्रसाद खुद के द्वारा लिये गये निर्णय से ही पलटी मार जाते हैं और पूर्व में लिये गये निर्णय को दरकिनारकर निरस्त किये गए। उन सभी भूखंडों को निगम-हित के विपरीत जाकर फिर से Restore करते हुए, भूखंड आवंटियों को ऐसे भूखंडों को किसी अन्य के पक्ष में हस्तांतरण करने की सुविधा प्रदान कर देते हैं।

भूखंड दलालों को सुविधा

भूखंड दलालों को सुविधा देते हुए इसके लिए वाकायदा 31 अक्टूबर 2017 की तिथि का भी निर्धारण MD रणवीर प्रसाद कर देते हैं। इस बीच जब कुछ भूखंड मालिक हस्तांतरण के लिए कोई ग्राहक नहीं पाते हैं, तो उनपर MD रणवीर प्रसाद फिर मेहरबान हो जाते हैं। एक बार फिर इस तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी जाती है।

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RM को मिला अधिक पावर

इतना ही नहीं तैनाती के शुरुआत में MD रणवीर प्रसाद का ये कहना था कि वो RM की पोस्ट को इस तरह बना देंगे कि कोई भी क्षेत्रीय प्रबंधक पद पर तैनाती की चाह नहीं रखेगा, यानी MD को पता था कि क्षेत्रीय लेवल पर बड़ा खेल होता है। UPSIDC में समय बीतने के साथ ही एक बार फिर RM लेवल पर खेल खेला गया। MD रणवीर प्रसाद का रुख भी बदलने लगा। निरस्त भूखंडों के Restoration के निर्णय के साथ-साथ रणवीर प्रसाद ने Regional managers को नक्शे से लेकर आवंटन तक के सारे अधिकार दे दिये। अब नक्शा पास करने से लेकर आवंटन तक के सारे अधिकार क्षेत्रीय प्रबंधकों को मिलने के बाद सारी Dealing क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर होने लगी।

सीधे MD-RM के बीच डीलिंग

अब मामला सीधे-सीधे RM और MD के बीच चलने लगा।फाइलों का मुख्यालय आना-जाना बंद हो गया। मतलब साफ था कि MD रणवीर प्रसाद नक्शे से लेकर आवंटन तक की किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने से बचना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बड़ी ही चालाकी से सारे अधिकार क्षेत्रीय प्रबंधकों को दे दिये, ताकि उन्हें किसी फाइल पर दस्तखत न करना पड़े। यदि बाद में घोटाला सामने आता भी है तो Regional Manager को ही जेल जाना पड़े, वह खुद बच जायें।

बिचौलियों को फायदा

जानकार मानते हैं कि MD रणवीर प्रसाद के इस निर्णय के बाद UPSIDC फिर अपने मूल उद्देश्य से भटककर मात्र एक Property dealing एजेंसी बनकर रह गया। नतीजा ये हुआ कि जिस तरह से बार-बार भूखंडों के RESTORE करने की तारीखें बढ़ाई जा रही हैं, उससे भूखंडों के खरीदार वास्तविक उद्यमी न होकर ट्रेडर्स के बीच खरीदारी हो रही है और इसका परिणाम ये हुआ कि UPSIDC अपने मूल उद्देश्यों से ही भटक गया है। हालात ये हैं कि जहां ALLOTMENT से UPSIDC को मात्र 51.61 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई, वहीं प्लाट के ट्रांसफर से UPSIDC को 705.10 करोड़ का निवेश मिला। इतना ही नहीं ALLOTMENT के प्रति MD रणवीर प्रसाद के उदासीन रवैये की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि ALLOTMENT की प्रक्रिया में 143.25 करोड़ लंबित है। ऐसे में MD रणवीर प्रसाद के नए आवंटन के प्रति उदासीन रवैये की पुष्टि हो जाती है। यही वजह है कि अब UPSIDC के अधिकारी भी कहने लगे हैं कि MD रणवीर प्रसाद की रूचि नये आवंटन में न होकर ट्रांसफर वाले भूखंडों में ज्यादा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमडी रणवीर प्रसाद के इस एक कदम से UPSIDC को लगभग 1200 करोड़ से लेकर 1500 करोड़ की चपत लगी है। ये क्षति इससे ज्यादा की भी हो सकती है। यदि इसकी निष्पक्ष जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाये, तो एक बहुत बड़ा SCAM सामने आ सकता है।

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