नई दिल्ली॥ कोरोना काल में भी दिल्ली में राजनीति चरम पर है। आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर दिल्ली और केंद्र आमने-सामने हो जाते हैं। अब कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल को लेकर दोनों में सहमति बनती नहीं नजर आ रही है।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि दिल्ली में कोरोना के इलाज के दो मॉडल हैं, एक अमित शाह वाला और दूसरा केजरीवाल सरकार का। अमित शाह वाले मॉडल में कोरोना मरीज को जांच के लिए क्वारंटीन सेंटर जाना होगा, जबकि हमारे मॉडल में दिल्ली सरकार की मेडिकल टीम घर जाकर कोरोना मरीज की जांच करेगी। हमें ऐसा मॉडल चाहिए, जिसमें लोगों को कम परेशानी हो।
सिसोदिया ने कहा कि कोविड के खिलाफ संघर्ष में अमित शाह मॉडल बनाम केजरीवाल मॉडल की बात नहीं है। हमें लोगों को कम परेशानी वाली व्यवस्था लागू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री की जिम्मेदारी है कि वह एलजी साहब से कहकर इस व्यवस्था को बंद करवाएं और पुरानी व्यवस्था लागू करें। हमको वह व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिसमें लोगों को कम-से-कम समस्या हो। पिछले चार-पांच दिनों में लोग दुखी हो रहे हैं क्योंकि सबको क्वारंटीन सेंटर में जांच के लिए भेजा जा रहा।
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इससे पहले सिसोदिया ने कहा, “दिल्ली में जो होम आइसोलेशन के नियम बदले गए हैं, उससे लोगों में डर का माहौल है। इससे व्यवस्था पर भी अतिरिक्त भार पड़ रहा है। हमें आपसी मतभेद भुलाकर मिलकर इस बीमारी से निजात पाने के लिए प्रयास करने होंगे, ताकि मरीजों को जल्द से जल्द सही और सुलभ इलाज मिल सके।”
उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में कोरोना के तीन से चार हजार नए मामले रोज सामने आ रहे हैं। मंगलवार को करीब 4000 नए मरीज मिले हैं। इसे देखते हुए कल मैंने उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर हर पॉजिटिव मरीज को क्वारंटीन सेंटर जाने की व्यवस्था को बदलने की मांग की थी। इस व्यवस्था के चलते मरीजों में अफरा-तफरी का माहौल है। एलजी साहब के इस आदेश के चलते प्रशासन और स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ गया है। इसकी वजह से नई परेशानियां सामने आ रही हैं, लेकिन एलजी ने अब तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। इसे देखते हुए मैंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस व्यवस्था को जल्द से जल्द बदलने की मांग की है।
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