रूस और यूक्रेन वार (Russia-Ukraine War) का असर दुनिया भर के देशो के आपसी संबंध पर भी पड़ता दिख रहा है। वार के बाद अमेरिका को दक्षिण एशिया में दिल्ली-बीजिंग-मास्को के बीच एक नयी साझेदारी उभरती दिखायी दे रही है। रूस, चीन से मदद मांग रहा है। अमेरिका, चीन को चेतावनी दे रहा है। एक बयान जारी कर अमेरिका ने कहा भी है कि रूव को मदद देने वाले देशों पर उनकी नजर है। भारत और रूस के बीच हाल ही में व्यापारिक साझेदारी को लेकर भी खबरें आयी हैं। यह बयान भारत के परिप्रेक्ष्य में भी हो सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अमेरिका, जेक सुलिवन चीनी राजनयिक यांग जिएची से मिले और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने रूस की मदद का दावा करने वाली खबर (Russia-Ukraine War) की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट कराया। चीन ने इस भ्रामक बताया और खारिज कर दिया। हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत, रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदने पर विचार कर रहा है। इस खबर ने भी अमेरिका की चिंता बढा दी है, क्योंकि रूस—यूक्रेन वार के बाद भारत और रूस के बीच नजदीकियां बढ रही हैं।
चीन और रूस के बीच इधर संबंध अच्छे हुए हैं। भारत ने वाशिंगटन और मास्को दोनों के साथ अच्छे संबंधों के लिए कोशिश की। नतीजतन चीन को लेकर अमेरिका सख्त है, लेकिन भारत पर उसका दबाव कम है। रूस पर नई दिल्ली की सैन्य आपूर्ति निर्भरता को भी अमेरिका समझता है। (Russia-Ukraine War)
अमेरिकी अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि रूस की मदद के लिए यदि चीन आगे बढता है तो उसे आर्थिक दंड भी झेलना पड़ सकता है। उनका यह भी मानना है कि चीन ताइवान पर अपने दावे को ध्यान में रखते हुए रूसी आक्रमण को हरी झंडी दी है। (Russia-Ukraine War)