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दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है. आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है. इस वायरस की वजह से हजारों मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं. तो वहीं दुनिया के सुपरपावर कहा जाने वाले देश के सामने भी मुश्किल की घड़ी है.

वहीं कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन  दवाई के लिए भारत से मदद मांगी है. पूरी दुनिया इस दवाई को कोरोना वायरस के इलाज की एक उम्मीद तरह देख रही है यही नहीं इस दवाई को ‘गेमचेंजर’ का दर्जा दिया जा रहा है.

आपको बता दें कि भारत ने भी ट्रंप की डिमांड को देखते हुए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के निर्यात से बैन हटा दिया है. बताया जा रहा है इस दवाई के लिए पूरी दुनिया को भारत से काफी उम्मीद है क्योंकि इस दवाई की पूरी सप्लाई का 70 फीसदी हिस्सा भारत देश में ही बनता है. दावा किया जा रहा है कि भारत ने अप्रैल-जनवरी 2019-2020 के दौरान 1.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ओपीआई (API) एक्सपोर्ट किया था.

वहीं इंडियन फार्मास्‍यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन का कहना है कि पूरी दुनिया को भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई का 70 फीसदी सप्लाई करता है. यही नहीं दावा किया जा रहा है कि भारत में इस दवा बनाने की कैपेसिटी काफी प्रभावी है. भारत 30 दिन में 40 टन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई बनाने की क्षमता रखता है. यानी इस तरह से 20 मिली ग्राम की 20 करोड़ टैबलेट्स बनाई जा सकती हैं.

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