नई दिल्ली॥ चाइना में कोरोना वायरस के कहर से दुनिया भर के कारोबार पर काले बादल मंडराने लगे हैं। उद्योग जगत की मुश्किलें इस आपदा से बढ़ गई हैं। इस ग्लोबल संकट के असर से हिंदुस्तान भी नहीं बचा है। खुद सरकार इस खतरनाक वायरस के अर्थव्यवस्था पर हो रहे नुकसान के आकलन और समीक्षा में जुट गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत के साथ बैठक के बाद माना कि कोरोना वायरस का संकट लंबा चलने से कारोबार जगत के लिए हालात खराब हो सकते हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे अधिक मार इलेक्ट्रॉनिक्स पर पड़ने की आशंका है। इसके साथ-साथ फॉर्मा, केमिकल्स में भी चीन से होने वाली कच्चे माल की सप्लाई पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा।
कोरोना का अर्थव्यवस्था पर असर कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि IMF ने कोरोना वायरस से ग्लोबल ग्रोथ में 20 पॉइंट्स तक की गिरावट का अनुमान जताया है। अब तक इसके कारण 1800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। विश्वभर में 65000 से अधिक लोग इससे पीड़ित बताए जा रहे हैं।
हिंदुस्तान में चीन से सबसे ज्यादा आयात इलेक्ट्रिकल मशीनरी, मैकेनिकल अप्लायंस, ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक और सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट का होता है। चीन में संकट के चलते हिंदुस्तान के करीब 28 फीसदी आयात पर असर हुआ है। इसके साथ ही कोरोना की वजह से फॉर्मा सेक्टर पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है। चीन से सप्लाई बंद होने के कारण हिंदुस्तान में पैरासिटामॉल दवाओं की कीमत 40 प्रतिशत बढ़ गई है। हिंदुस्तान फॉर्मा इंग्रीडिएंट्स के कई प्रोडक्ट्स का 80 फीसदी तक चीन से आयात करता है। दुनिया में बिकने वाली जेनेरिक दवाओं के मामले में हिंदुस्तान सबसे बड़ा बाजार है।