
बीजिंग॥ चीन की मुश्किल बढ़ाने वाली एक और खबर प्रकाश में आई है। एक मशहूर न्यूजपेपर में छपी एक ख़बर के मुताबिक हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिए और हिंदुस्तान-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिशों से निपटने के लिए हिंदुस्तान एवं जापान के बीच महत्वपूर्ण सहमति बन गई है।
इसके बाद अब हिंदुस्तान-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच एक दूसरे के युद्धपोतों और विमानों के लिए सैन्य सहयोग बढ़ाया जाएगा। जापान ऐसा छठा देश है जिसके साथ इस तरह के सैन्य सहयोग के लिए हिंदुस्तान ने करार किया है। इससे पहले अमरीका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के साथ इस क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने को लेकर हिंदुस्तान करार कर चुका है।
न्यूजपेपर के मुताबिक 10 सितंबर को एक सीनियर अफसर ने बताया कि हिंदुस्तान ब्रिटेन और रूस के साथ भी इसी तरह के सहयोग के लिए बातचीत आगे बढ़ा रहा है और हो सकता है कि इस साल के आख़िर तक रूस के साथ किसी सहमति पर पहुंचा जा सके।
वरिष्ठ अफसर ने मीडिया को बताया कि चीन की तरह हिंदुस्तान देश के बाहर समुद्र में किसी तरह का मिलिट्री बेस बनाने की इच्छा नहीं रखता। इंडियन आर्मी एवं जापान की सेल्फ-डिफेन्स फोर्सेस के मध्य इससे संबंधित करार पर रक्षा सचिव अजय कुमार तथा जापान के राजदूत सुज़ुकी सतोशी ने हस्ताक्षर किए हैं।