ओलंपिक मशाल (Tokyo Olympics 2020) खेलों के महाकुंभ को भव्यता प्रदान करता है। इसे प्राचीन और आधुनिक खेल के मिश्रण का प्रतीक माना जाता है। ओलंपिक मशाल जलाने की प्रथा 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक खेलों और ओलंपिक मशाल रिले कि शुरुआत 1936 के बर्लिन ओलंपिक से हुई थी। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) की मशाल गत वर्ष 12 मार्च को ग्रीस में प्राचीन ओलंपिया के पवित्र स्थल पर हेरा के मंदिर में जलाई गई थी। इसके बाद पैनाथेनिक स्टेडियम में एक समारोह के दौरान इस मशाल को जापान को सौंप दिया गया। यह मशाल विश्वभर के देशों की यात्रा संपन्न कर जापान पहुंची है। अब 23 जुलाई को फुकुशिमा प्रान्त के जे विलेज नेशनल ट्रेनिंग सेंटर से मशाल रिले की शुरुआत होगी।
ओलंपिक मशाल (Tokyo Olympics 2020) का सफर बेहद दिलचस्प रहा है। वर्ष 1952 के ओस्लो ओलंपिक में मशाल ने पहली बार हवाई मार्ग से यात्रा की। इसी तरह वर्ष 1956 के स्कॉटहोम ओलंपिक में घोड़े की पीठ पर और 1968 के मैक्सिको ओलंपिक में समुद्र के रास्ते मशाल यात्रा संपन्न हुई।
वर्ष 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में कनाडा ने एथेंस से ओटावा तक मशाल के सफर का सीधा प्रसारण किया। इसी तरह वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में तो मशाल को ग्रेट बैरियर रीफ के पास समुद्र की गहराइयों में उतारा गया था।
ओलंपिक खेलों (Tokyo Olympics 2020) की परंपरा के अनुसार उद्घाटन समारोह के दिन मेजबान देश का एक एथलीट स्टेडियम में लगाए गए मशाल को प्रज्जवलित करता है। इसके साथ ही ओलंपिक खेलों का शुभारंभ हो जाता है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस बार मशाल रिले समारोह को दर्शकों के लिए पाबंद किया गया है।
टोक्यो ओलंपिक की मुख्य वेबसाइट पर इसका सीधा प्रसारण किया जा रहा है। ओलंपिक मशाल 106 दिनों में 46 प्रान्तों की यात्रा करते हुए 16 जुलाई को टोक्यो पहुंच गई। कोमाज़ावा ओलंपिक पार्क स्टेडियम में एक समारोह में मशाल का स्वागत किया गया। इस समारोह के साथ ही ओलंपिक मशाल रिले का टोक्यो चरण शुरू हो गया।