लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) में तैनात कुछ कर्मचारियों पर खासा मेहरबान है। एनएचएम मुख्यालय में तैनात अफसरों पर चहेते कर्मचारियों की सैलरी नियम विरूद्ध तरीके से बढाने का आरोप लगता रहा है। पर अब चहेतों को जल्द से जल्द लाभ मिल सके। इसलिए योजना बनाकर नाजायज भुगतान के लिए लाखों रूपये की धनराशि धनराशि रोक ली गई (कमिटेड) है। एनएचएम में इस प्रकरण की खूब चर्चा है।

राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) में बीएफओ कम एडमिन आफिसर के पद पर तैनात मीनाक्षी दिवेदी के प्रकरण में ऐसा ही हो रहा है। तीन साल पहले जब उनकी सैलरी करीबन 36 हजार थी तब 56 हजार सैलरी का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। अगले साल जब उनकी सैलरी 34 हजार थी। तब उनकी सैलरी के लिए करीबन 61 हजार का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया और अब जब मौजूदा समय में उन्हें करीबन 36 हजार रूपये सैलरी प्राप्त हो रही है तो एक प्रस्ताव के जरिए उनकी सैलरी करीबन 67 हजार रूपये दिखाई जा रही है। मजे की बात यह है कि अभी उन्हें 36 हजार सैलरी ही मिल रही है। पर अफसरों के सामने केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव को ढाल बनाकर उनकी सैलरी 67 हजार पेश की जा रही है।
तीन साल की बढी सैलरी के भुगतान को 5.20 लाख कमिटेड
और अब हैरतअंगेज तरीके से लगातार तीन साल तक बढी सैलरी के भुगतान के लिए केंद्र से आयी धनराशि में से 5.20 लाख रूपये रोका जा रहा (कमिटेड) है। चूंकि वह खुद बीएफओ यानि कार्यक्रम के एकाउंट का काम देखती हैं। इसलिए उन्हें इस काम में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। विभागीय जानकारों के मुताबिक लाखों रूपये की धनराशि कमिटेड कराने का मतलब सिर्फ इतना है कि आगामी समय में योजनाबद्ध तरीके से धन प्राप्त किया जा सके।
क्या है नियम
एनएचएम के अफसर अपनी खासमखास संविदाकर्मी की सैलरी बढाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। कारनामों को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश चल रही है। जबकि नियमों के मुताबिक संविदा कर्मियों की सैलरी में एक साल की सेवा पूरी होने पर 5 फीसदी ही बढोत्तरी की जा सकती है। ऐसे में सैलरी में दोगुने का इजाफा अनियमितता की तरफ संकेत करता है।
कुछ दिन पहले ही संविदा कर्मियों ने निदेशक को किया था आगाह
अभी कुछ दिन पहले संविदा कर्मियों ने वेक्टर बार्न डिजीज व मानव संसाधन विभाग पर इस तरह की गड़बड़ी का आरोप लगाया था। भेदभाव के शिकार कर्मचारियों ने मिशन निदेशक को पत्र लिखकर इस बाबत आगाह किया था। उनका आरोप था कि एनएचएम मुख्यालय में बैठे कर्मचारियों का वेतन नियम विरूद्ध तरीके से बढाया जा रहा है।
इस प्रकरण में डीजी मेडिकल हेल्थ से उनके मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
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