धर्म डेस्क। विश्वकर्मा पूजा सृष्टि के आदि वास्तुकार और निर्माणकर्ता भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक महत्वपूर्ण उत्सव है। इस पर्व पर लोग अपने औजारों, मशीनरी और उपकरणों की साफ़-सफाई कर उनके कुशल संचालन के लिए भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना कर आशीर्वाद मांगते हैं। विश्वकर्मा पूजा प्रौद्योगिकी एवं शिल्प कौशल के महत्व का प्रतीक है। यह शिक्षण और अनुसंधान में उपयोग किए जाने वाले सभी उपकरणों और मशीनरी की सफलता और सुरक्षा के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का महत्वपूर्ण पर्व है। इस साल भगवान विश्वकर्मा की जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
सनातन परंपरा के अनुसार भाद्रपद मास में सूर्य जब सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस साल सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए विश्वकर्मा जयंती अगले दिन अर्थात 17 सितंबर को मनाई जाएगी। उद्योग जगत में काफी पहले से ही इस पर्व की तैयारियां की जा रही हैं।
भगवान विश्वकर्मा की जयंती अर्थात विश्वकर्मा पूजा के दिन हर कारखाने, फैक्ट्री और दुकानों में सजावट की जाती है। इस दिन मशीनरी से जुड़े काम करने वाले कुशल मजदूर और कामगार अपने संयंत्रों की पूजा करके उन्हें एक दिन के आराम देते हैं। कारखानों में मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है।
तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग विश्वकर्मा जी को अपना भगवान मानकर उनकी पूजा करते हैं। पूजा कर प्रसाद चढ़ाते हैं। वर्तमान युग में तो विश्वकर्मा पूजा सभी के लिए भी जरूरी मानी जाती है। आज मोबाइल और लैपटॉप जीवन का अंग बन चुके हैं, जो एक प्रकार की मशीन ही हैं।
शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा पूजा के दिन प्रातः उठकर अपने घर के औजारों या जो भी मशीनरी हो, की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति को मशीनों के पास रखें। अब पहले भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें उसके बाद मशीनों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मशीनों के साथ-साथ अपने वाहनों की भी पूजा करनी चाहिए।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद मोतीचूर के लड्डू, मीठी बूंदी, चावल की खीर या हलवे का भोग लगान आ चाहिए। विश्वकर्मा पूजा के दिन जरूरतमंद लोगों को नित्य प्रयोग में आने वाली वस्तुओं का दान करना उत्तम माना गया है।
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