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इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने चीन और पाकिस्तान को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान को अपनी क्षमता सिर्फ इसलिए नहीं बढ़ानी चाहिए कि चीन-पाकिस्तान के 'gray zone warfare' को नाकाम किया जा सके बल्कि हमें उन्हें उनके दायरे में भी रोकना है। उन्होंने जंब पर बात करते हुए सामरिक डिटरेंस इंस्ट्रूमेंट्स की भी बात की।

सेना प्रमुख ने कहा कि सीमा विवाद निरंतर हमारे लिए चुनौती बना हुआ है। ऐसे में यह जानना अहम है कि सीमा प्रबंधन में थोड़ी भी कमी से सिरदर्द बढ़ सकता है। ऐसे में निवारण अहम है। हालांकि उन्होंने विस्तार से नहीं बताया मगर इसे चीन-पाकिस्तान को दायरे में रखने के लिए हिंदुस्तान की परमाणु ताकत से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे, सबसे अहम बात आर्मी चीफ ने ग्रे जोन वॉरफेअर को लेकर की है।

लंबे वक्त तक चलने वाले जंग की तैयारी

उन्होंने कहा कि बीते दिनों संघर्ष की रणनीति के तौर पर ग्रे जोन दुस्साहस बढ़ा है। तकनीकी विकास के चलते इसका चलन बहुत बढ़ गया है। जनरल पांडे ने ड्रैगन व पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि भले ही हम इसकी बात करें मगर विरोधी हमारे विरूद्ध ग्रे जोन मंसूबा अपना रहे हैं। रूस-यूक्रेन जंग से सबक लेने की बात करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि हिंदुस्तान को भी छोटे वॉर की बजाय लंबे वक्त तक चलने वाले जंग के लिए तैयार रहना चाहिए।

क्या होता है ग्रे जोन वॉरफेयर

वर्तमान में विश्व के मुल्कों के बीच अपने-अपने हित जुड़े हैं। ऐसे में व्यापारिक एवं दूसरे लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए खुलकर जंग करने का विकल्प कम ही मुल्क चुनते हैं। लोकतांत्रिक मुल्कों में इसकी संभावना सबसे कम होती है। विशेषज्ञ व आर्मी के आला अफसर बहुत वक्त से चीन की रणनीति को ग्रे-जोन स्ट्रैटिजी कहते आ रहे हैं। कुछ महीने पहले भी आर्मी चीफ ने भारत को ग्रे जोन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। इस प्लानिंग के तहत लड़ाई जमीन पर नहीं होती है बल्कि कई तरीके से दुश्मन को कमजोर करने का मंसूबा होता है।

 

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