…जब पुलिस अफसरों ने किया बेटे की तरह बुजुर्ग का अंतिम संस्कार!

img

नई दिल्ली॥ लॉकडाउन के दौरान लोगों के दिलों में बनी पुलिस की छवि अब बदलने लगी है। कई पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए कामों से पुलिस विभाग के प्रति लोगों में सम्मान की भावना जग रही है। प्रति दिन पुलिस अफसरों का मानवीय चेहरा लोगों के सामने आ रहा है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के हरि नगर से सामने आया है।

police

जहां दिल्ली पुलिस के दो हेड कांस्टेबलों ने एक कैंसर पीड़ित बुजुर्ग का बेटे की तरह लगभग एक सप्ताह तक सेवा की। इतना ही नहीं बुजुर्ग श्याम मुरारी कपूर की मृत्यु के बाद परिजनों की अनुपस्थिति में उनके अंतिम संस्कार में सहायता के लिए भी आगे आए। पुलिस अफसरों के अनुसार, हरि नगर थाने में तैनात दोनो कांस्टेबल रमेश और जितेंद्र 19 अप्रैल से ही कैंसर पीड़ित की देखभाल कर रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार, थाना प्रभारी ने उनको बुजुर्ग की खराब हालत की जानकारी देते हुए उनके देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग हरि नगर में अकेले रहते थे। बता दे, बुजुर्ग के दो बेटे हैं आलोक कपूर और अमित कपूर। दोनों आईटी सेक्टर में वर्किंग हैं। दोनों हैदराबाद और लंदन में रहते हैं।

वहीं पुलिस उपायुक्त की माने तो बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ने पर दोनों हेड कांस्टेबलों ने उन्हे डीडीयू अस्पताल में पहुंचाया। जहां उनकी कोरोना की जांच भी की गई। हालांकि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। जिसके बाद उनकी तबीयत खराब होने की सूचना उनकी भतीजी मुक्ता कपूर को दी गई। वहीं बुजुर्ग को गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनकी हालत में सुधार हुआ और डिस्चार्ज होकर घर वापस आए।

पढि़ए- कोरोना का इलाज कराने के लिए अपने देश से भागकर हिंदुस्तान पहुंचा एक युवक, धरा गया

वहीं घर वापस आने के बाद भी दोनों कांस्टेबल उनकी बेटे की तरह देखरेख में जुटे रहे। उनसे नियमित रूप से मिलते रहे, जिससे उन्हे दवाएं और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो सके। उनकी तबीयत में सुधार हो रही थी, लेकिन 26 अप्रैल को अचानक उनकी मौत हो गई। बुजुर्ग का शव उनकी भतीजी को दे दिया। जिसके बाद दोनों पुलिस अफसरों की सहायता से पंजाबी बाग के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं इस मौके पर उनकी भतीजी समेत तीन अन्य रिश्तेदार मौजूद रहे।

वहीं पुलिस अफसरों के काम को देखते हुए बुजुर्ग की भतीजी मुक्ता ने पुलिसकर्मियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों पुलिसकर्मियों ने हमारी बहुत सहायता की है। मुक्ता ने कहा कि उन्होंने दवाओं की व्यवस्था की, खाना मुहैया कराया। इतना ही नहीं उन्होंने पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार में भी हमारी बेहद सहायता की। इनकी औपचारिक मदद से उनके दो रिश्तेदार अंतिम संस्कार में शामिल हो सके।

Related News