कहां और कितना असर दिखा किसानों के रेल रोको आंदोलन का

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नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को किसानों ने रेल रोको आंदोलन चलाया। सुबह 10 से शाम 4 बजे तक पंजाब ,हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 184 जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शन के कारण करीब 250 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ। इनमें कई मालगाड़ियां भी शामिल हैं। वहीं, करीब 125 ट्रेन  नियत समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच सकी। लगभग 45 ट्रेनें निरस्त की गईं तो 50 से अधिक के रूट आंशिक तौर पर बदले गए।  इसका असर कई राज्यों में ट्रेन सेवाओं पर पड़ा।

आंदोलन का सबसे अधिक असर उत्तर पश्चिम क्षेत्र में 42 ट्रेनों पर दिखा तो 25 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। आंदोलन खत्म होने के एक घंटा बाद यानी पांच बजे के बाद ट्रेन सेवाएं धीरे-धीरे सामान्य हो गई। ट्रेन संचालन प्रभावित रहने के कारण स्टेशनों पर यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

किसानों के रेल रोको अभियान का असर फरीदाबाद में भी देखने को मिला। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रहते हुए सचखंड और उत्कल एक्सप्रेस को रास्ता सामान्य होने तक रोक दिया गया था। दोपहर बाद करीब तीन बजे दोनों ट्रेनों को रवाना कर दिया गया।
पिछले 11 माह से आंदोलन कर रहे किसान सोमवार को अटोहां फाटक पर चार घंटे तक रेल पटरियों पर बैठे रहे। इससे कई ट्रेंनें प्रभावित हुईं। रूंधी रेलवे स्टेशन के पास गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस और तीन मालगाड़ियां खड़ी रहीं।

इसी तरह पलवल स्टेशन के पास उत्कल एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस और मालगाड़ियां खड़ी रहीं। रास्ता सामान्य होने पर इन्हें रवाना कर दिया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के रेल रोको अभियान के आह्वान पर किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ता दनकौर रेलवे स्टेशन पहुंच कर पटरी पर बैठ गए। इस दौरान दिल्ली से अलीगढ़ की तरफ जाने वाली दो मालगाड़ियों को रोक कर किसानों ने विरोध जताया। इसी तरह दिल्ली से टूंडला जा रही कोविड-19 स्पेशल पैसेंजर ट्रेन को भी दनकौर स्टेशन पर रोक दिया।

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