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भारत इस वक्त दुनिया में एक ऐसे मुकाम पर है जहां सारे देश उसकी तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं। उम्मीद है कि भारत से जितनी करीबी होगी, फायदा उतना ही ज्यादा मिलेगा। यही कारण है कि चाहे रूस, अमेरिका या यूरोपीय देश कोई भी भारत से संबंध बिगाड़ना नहीं चाहता है, लेकिन भारत एक अलग ही मिशन पर है। दरअसल, भारत जिन देशों से डील कर रहा है, वहां पर एक शर्त यह भी रखी जा रही है कि कारोबार का जो भी लेनदेन हो वह सभी रुपयों में हो। इसके अलावा पीएम मोदी यूपीआई को भी काफी बढ़ावा दे रहे हैं।

हाल ही में पीएम मोदी फ्रांस दौरे पर थे और डील हुई। उसके बाद ही साफ हुआ कि फ्रांस में भी यूपीआई के जरिए पेमेंट होगी। भारत का मिशन अब रुपये को मजबूत करना और अपनी टेक्नॉलजी यूपीआई को वैश्विक मंजूरी दिलाना है। पहले सारे देश आपस में जो भी कारोबार किया करते थे, वह सभी डॉलर में होते थे। यही कारण है कि तंगी में भी डॉलर की डिमांड बनी रहती थी।

यूनाइटेड अरब अमीरात के साथ स्थानीय मुद्रा में व्यापार को लेकर डील के बाद अब भारत और इंडोनेशिया के बीच भी इस तरह का समझौता हो सकता है। दोनों देश रीयल टाइम पेमेंट सिस्टम और स्थानीय मुद्रा में व्यापार की दिशा में एक दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही इसे लेकर अच्छी खबर आ सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों की सरकारों के बीच डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ाने पर भी विचार हो रहा है, जिससे यूपीआई और इसी तरह के दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल हो सकेगा। बीती 15 मई को गुजरात के गांधीनगर में शुरू हुई भारत इंडोनेशिया आर्थिक और वित्त वार्ता में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने, वित्तीय सेवाओं और बुनियादी ढांचे के विकास आदि पर जोर रहा है। वार्ता की शुरुआत की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में विशेषज्ञता विकसित की है जो सुविधाजनक और किफायती डिजिटल भुगतान के लिए समाधान प्रदान कर सकता है। यह इंडोनेशिया को अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।

एक और देश में हो सकता भारतीय रुपए से व्यापार!

बैठक के लिए भारत पहुंची इंडोनेशिया की वित्त मंत्री मुलिया इंद्रावती ने कहा, दोनों देश डिजिटल टेक्नॉलजी केंद्रीय बैंकों के तहत भुगतान प्रणालियों और स्थानीय मुद्रा के उपयोग में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। इंडोनेशिया के साथ मुद्रा व्यवस्था यूएई की तरह हो सकती है यानी भारतीय निर्यातक इंडोनेशिया रुपयों में व्यापार कर सकते हैं, जबकि इंडोनेशिया भारतीय रुपये में अपना पेमेंट हासिल कर सकता है।

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