क्या रंग लाएगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की गुटबाजी

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हरिद्वार : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद संतों की सर्वोच्च संस्था है। इस धार्मिक संगठन में में भी राजनीति घुस गई है ! आपसी झगड़े के कारण अब अखाड़ा परिषद में दो गुट बन गये हैं और दोनों ने अपना अपना अलग अध्यक्ष वहन लिया है ! अखाड़ा परिषद के ब्रह्मलीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के आकस्मिक निधन के बाद संतों की राजनीति और कुर्सी का झगड़ा अखाड़ों से बाहर आया है।

झगड़े ने इतिहास की पुनरावृत्ति कर दी। कुल 13 अखाड़ों में दो फाड़ हुए और सात अखाड़ों ने महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी को अध्यक्ष एवं बैरागी अखाड़े के राजेंद्र दास को महामंत्री चुन लिया। इन सात अखाड़ों में शामिल निर्मल अखाड़े में भी दो फाड़ हुए और महंत रेशम सिंह और उनके गुट के संतों ने परिषद की मौजूदा कार्यकारिणी को समर्थन दे दिया।

वहीं, सोमवार को प्रयागराज में निर्मल अखाड़े के रेशम सिंह गुट समेत सात अखाड़ों के संतों ने मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी को परिषद का अध्यक्ष चुन लिया, जबकि बैरागी अखाड़े के श्रीमहंत मदनमोहन दास ने पत्र भेजकर समर्थन दे दिया।

दोनों महंत हरिद्वार में ही रहते हैं! निरंजनी अखाड़े के सचिव को कुल आठ अखाड़ों के संतों का समर्थन मिल गया। अखाड़ों में अंदरखाने संतों के बीच विवाद भी गहरा रहा है। समर्थन और विरोध को लेकर चिंगारियां भी सुलगने लगी हैं।

अखाड़ा परिषद के दोनों ही गुट अखाड़ों के संतों को अपने अपने पक्ष में करने के लिए दाव खेलने लगे हैं।
अखाड़ों की राजनीति से सरकार के नेता एवं मंत्री भी असमंजस में फंस गए हैं। अभी तक नई कार्यकारिणी पदाधिकारियों के स्वागत से स्थानीय विधायक से लेकर सरकार के मंत्रियों ने दूरियां बनाई हैं। 27 अक्तूबर को मनसा देवी ट्रस्ट अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी हरिद्वार पहुंचेंगे।

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