6 दिसंबर इतिहास का वो दिन जिसने BJP के लिए किया था संजीवनी का काम, नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे आप

img

उत्तर प्रदेश ।। 6 दिसंबर सन् 1992 इतिहास का वो दिन जिसने BJP के लिए संजीवनी का काम किया था। आज की BJP उसी ट्रैक पर चलती दिखाई दे रही है जिसे रास्ते को बाबरी विध्वंस के नायकों ने बनाया था।

12 साल पहले यानि 6 अप्रैल 1980 को बनी BJP ने बाबरी विध्वंस का ऐसा फायदा उठाया कि बाद के सालों में पार्टी ने कई राज्यों में और देश में चार बार अपनी सरकार बनाई। बाबरी विध्वंस के 26 साल होने के बाद भी भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर चुनाव लड़ती दिखाई देती है।

पढ़िए- हिंदुस्तान के सामने अचानक आ गई एक बड़ी चुनौती, कैसे निपटेंगे पीएम मोदी

बाबरी विध्वंस के बाद राम मंदिर राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को एक अलग चमक भी मिली थी। BJP ने जब अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था तो इसे मात्र दो सीटें मिली थीं, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के रास्ते साल 1989 के लोकसभा के चुनाव में 9 साल पुरानी बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी।

साल 1992 में बाबरी विध्वंस में पार्टी ने कई नायक बनाए थे। इन नायकों ने बाद के सालों में अपने खून और पसीने से पार्टी को जवां किया और आज बड़ा भी कर दिया। लेकिन बाबरी विध्वंस के 26 साल बाद ज्यादातर नेताओंं को पार्टी ने साइडलाइन कर दिया है। इसमें कुछ ऐसे नाम भी हैं जिन्होंने पार्टी के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, कल्याण सिंह, उमा भारती आदि बड़े नाम हैं। इनमें से ज्यादातर नेता आज नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने बौने कर दिए गए। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया तो कल्याण सिंह को पार्टी ने राज्यपाल बनाकर उनका वजूद कम कर दिया।

राम मंदिर के पक्ष में देश में माहौल आडवाणी ने 1990 में बनाया था। उनकी सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकाली रथ यात्रा से अयोध्या आंदोलन को धार मिली थी। देश के कई शहरों और गांवों से लोग अयोध्या में कारसेवा करने के लिए पहुंचे थे। देश भर में ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा गूंजा था।

उस दौर में आडवाणी बीजेपी के सबसे बड़े हिंदुत्व का चेहरा माने जाते थे। बाबरी विध्वंस के समय आडवाणी अयोध्या में ही थे, लेकिन आज वे बीजेपी मार्गदर्शक मंडल में हैं। बाबरी विध्वंस के समय कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। जब कारसेवक मस्जिद तोड़ रहे थे तब कल्याण सिंह की पुलिस मूकदर्शक बन तमाशा देख रही थी। यहां तक कि इसके बाद यूपी की कल्याण सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन मौजूदा समय में वे राजस्थान के राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से दूर किये जा चुके हैं।

विनय कटियार और उमा भारती भले ही वर्तमान राजनीति में सक्रिय हों लेकिन उनकी सक्रियता भी नन के बराबर है। कटियार मौजूदा समय में बीजेपी के मात्र नेता भर हैं, पार्टी में न उनकी भूमिका है और न ही सरकार में। राम मंदिर आंदोलन से उमा भारती हिंदुत्व की चेहरा और फायर बिग्रेड नेता के तौर पर उभरी थीं। एक दौर था जब बीजेपी नेताओं में उनकी तूती बोलती थी। लेकिन मौजूदा समय में मोदी सरकार में मंत्री होने के बावजूत उनके भविष्य में लोकसभा चुनाव लड़ने पर संशय है।

फोटो- फाइल

Related News