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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन तमाम शीर्ष नेताओं की लिस्ट में है। जो आतंकी संगठन ISIS के निशाने पर हैं, वह लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर हैं।

लेकिन जिस तरह से तकरीबन एक दशक पहले उनपर जानलेवा हमला किया गया था वह किसी आतंकी संगठन की ओर से नहीं बल्कि आजमगढ़ के ही एक अपराधी ने उनपर जानलेवा हमला किया था।

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योगी आदित्यनाथ आदित्यनाथ पर यह हमला 7 सितंबर 2008 में हुआ था, लेकिन किस तरह से इस हमले के बाद आदित्यनाथ की जान बची वह कहानी काफी दिलचस्प है।

इस घटना पर टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार प्रवीण कुमार ने योगी आदित्यनाथ- द राइज ऑफ सैफ्रॉन सोशलिस्ट नाम की किताब लिखी है, जिसमे इस पूरी घटना का जिक्र किया गया है।

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इसमे कहा गया है कि योगी आतंक विरोधी रैली को संबोधित करने के लिए आजमगढ़ जा रहे थे। इसी वक्त अहमदाबाद ब्लास्ट में आरोपी अबू बशीर को जुलाई 2008 में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

किताब के अनुसार तमाम हिंदू संगठन जिसमे हिंदू युवा वाहिनी भी शामिल थी, ने ऐलान किया था कि वह आजमगढ़ में आतंक विरोधी रैली का आयोजन करेंगे, इस रैली में योगी मुख्य वक्ता होंगे, उन्हें 7 सितंबर 2008 को डीएवी ग्राउंड में भाषण देना था।

लेकिन जिस दिन रैली होनी थी उसी दिन सुबह गोरखनाथ मंदिर से 40 गाड़ियों का काफिल यहां के लिए निकला।

टीम योगी को इस बात की अंदेशा था कि उसे पुलिस रोक सकती है, इसके लिए टीम ने पहले से ही तैयारी की थी। इस काफिले में योगी आदित्यनाथ की लाल गाड़ी सातवे नंबर पर थी।

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किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आजमगढ़ के आउटर में क्या होना वाला है, जैसे ही यह काफिला आजमगढ़ के करीब पहुंचा, जिसमे सैकड़ो कार और बाइक शामिल थीं। इस रैली पर आईबी ने रिपोर्ट दी थी की यहां हमला हो सकता है,

जिसकी वजह से रैली के साथ एक पीएसी की टीम भी इसमे शामिल थी। दोपहर को तकरीबन 1.20 बजे जब काफिला ताकिया से गुजर रहा था तो आजमगढ़ से कुछ ही दूर सातवीं कार पर किसी ने पत्थर फेंका, कुछ ही देर में हर तरफ से गाड़ी पर पत्थर बरसने लगे,

जिसके बाद पेट्रोल बंम फेंके जाने लगे। जिस तरह से यह हमला किया गया उससे पूरी तरह से साफ था कि यह पूर्व नियोजित था। हमलावर हो गए थे आग बबूला इस हमले के तुंरत बाद काफिला तीन हिस्सों में बंट गया, छह कारें तेजी से आगे बढ़ गई और बाकी कारें काफी पीछे रही।

लेकिन कुछ गाड़ियों पर काफी पत्थर फेंके गए। हमलावरों ने गाड़ियों को चारो तरफ से घेर लिया और हमला करने शुरू कर दिया, ये लोग अपने मुख्य शिकार यानि योगी आदित्यनाथ को ढूंढ रहे थे, लेकिन उन्हें वह नहीं मिले।

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