हिंदुस्तान में 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा सकती हैं पेट्रोल की कीमतें, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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उत्तराखंड ।। विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरि’का और ईरान के बीच तनाव गहरा गई है। इसकी वजह ईरान द्वारा अमेरिकी सेना का एक ड्रोन मार गिराना है। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच जंग की आशंका बढ़ गई है। दोनों देशों के बीच इस तनाव का विश्व भर पर पड़ने वाले असर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ड्रोन गिराने की खबर आने के तुरंत बाद कच्चे तेल (Crude oil) की कीमत 5 फीसदी का उछाल देखा गया था जो जनवरी के बाद से सबसे अधिक है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर अमेरि’का और ईरान के बीच जंग हुई तो इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (Crude oil) का भाव 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है, जो अभी 65 डॉलर प्रति बैरल पर है। हिंदुस्तान में इसका असर पेट्रोल की कीमतों पर दिखेगा और एक लीटर पेट्रोल की कीमत बढ़कर 100 रुपए प्रति/लीटर तक हो सकती है।

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पिछले हफ्ते ईरान द्वारा अमेरि’का के ड्रोन विमान गिराए जाने और अमेरि’का द्वारा अपना फाइटर जेट वापस बुलाने की खबरों के बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने फिर चौंकाने वाला बयान दिया है। अमेरि’का के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा कि वह ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर अब भी विचार कर रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर तेहरान ने शनिवार को वॉशिंगटन को चेतावनी दी कि किसी भी तरह का हमला पश्चिम एशिया में उसके हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा और इस क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक देगा। ईरान की यह चेतावनी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस खुलासे के बाद आई है, जिसमें उन्होंने अंतिम क्षणों में हमले को रोकने की बात कही थी।

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डोनाल्ड ट्रंप सोमवार से ईरान पर नए प्रतिबंध लगा सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि हम ईरान को परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरि’का ने ईरान के मिसाइल कंट्रोल सिस्टम और जासूसी नेटवर्क पर कई बार साइबर हमले किए। ट्रंप ने ट्वीट किया, ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।

ओबामा की खतरनाक योजना के तहत वे बहुत ही कम सालों में न्यूक्लियर के रास्ते पर आ गए। अब बगैर जांच के यह स्वीकार्य नहीं होगा। हम सोमवार से ईरान पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब ईरान से प्रतिबंध हट जाएंगे और वह फिर से एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरि’का और ईरान के बीच युद्ध होने की स्थिति में कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में तेजी आ सकती है।

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, अमेरि’का और ईरान के बीच युद्ध हुआ तो कच्चे तेल (Crude oil) की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है। वहीं एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि अमेरि’का और ईरान के बीच जंग की स्थिति में कच्चा तेल का भाव 85 से 90 डॉलर पहुंच सकता है, जिसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा।

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अजय केडिया के अनुसार, अगर कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में उछाल आता है तो इसका असर हिंदुस्तान पर भी पड़ेगा। हिंदुस्तान अपनी पेट्रोलियम जरूरतों के लिए बहुत हद तक इंपोर्ट पर निर्भर है। हिंदुस्तान को अपनी तेल की जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा इंपोर्ट करता है और क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी आर्थिक चुनौतियों को बढ़ा सकती है। जून की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतें सीमित दायरे में रही। इस कारण हिंदुस्तान में भी कीमतों में कमी का रुख देखने को मिला, हालांकि अब कीमतों पर फिर दबाव बढ़ रहा है।

ऑर्गनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OPEC) और रूस सहित सहयोगी राष्ट्रों ने इस सप्ताह 1-2 जुलाई को बैठक की सहमति जताई है। इस बैठक में ओपेक और अन्य देश तेल उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल की कटौती पर डील को आगे बढ़ा सकता है। यह डील जून के आखिरी सप्ताह में हो रही है। उत्पादन में कटौती से भी कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा। एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि फारस की खाड़ी को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण जलमार्ग माना जाता है। दुनियाभर में एनर्जी का अधिकांश हिस्सा इसी मार्ग से सप्लाई होता है। हिंदुस्तान अपनी तेल जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है और यह पूरी तरह से तेल और LPG शिपमेंट्स के लिए इसी रास्ते पर निर्भर है। जंग होने पर अगर ईरान अपना रास्ता बंद कर देता है तो हिंदुस्तान को तेल इंपोर्ट करना भी महंगा हो जाएगा।

एक्सपर्ट अजय केडिया कच्चे तेल (Crude oil) के भाव में बढ़ोतरी और इंपोर्ट खर्च बढ़ने का असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा, जिससे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर के पार जा सकती हैं। ईरान और अमेरि’का के बीच तनातनी के कारण कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों को लेकर हिंदुस्तान सरकार की चिंता बढ़ गई है।

इस तनावपूर्ण हालात के कारण तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिसपर हिंदुस्तान ने चिंता जाहिर की है। इसे देखते हुए हिंदुस्तान ने ओपेक के मुख्य सदस्य देश सऊदी अरब को तेल की कीमतों को काबू में करने के लिए आगे आने को कहा है। रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्टों में बताया गया है कि कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतें अगर 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ती हैं तो GDP पर इसका 0.4% असर होता है और इससे चालू खाता घाटा 12 अरब डॉलर या इससे भी ज्यादा बढ़ सकता है।

कच्चा तेल महंगा होने से सरकार का इंपोर्ट बिल बढ़ने लगता है, विदेशी मुद्रा भंडार घटता है और रुपए की कीमतें भी प्रभावित होती हैं। ये सभी ऐसे कारक हैं जो सरकार की सोशल स्कीम्स पर खर्च करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

दरअसल कच्चे तेल (Crude oil) पर बेसिक कस्टम ड्यूटी, बेसिक सेनवेट ड्यूटी और केंद्रीय एक्साइज कर लगाया जाता है। वहीं पेट्रोल और डीजल पर बेसिक कस्ट्म ड्यूटी, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी और एडिशनल कस्टम ड्यूटी बेसिक सेनवेट ड्यूटी, सेल्स टैक्स या वैट, पॉल्यूशन सेस, सरचार्ज आदि लगाया जाता है। आपको बता दें कि 1 यूएस बैरल में करीब 159 लीटर होता है। यानी एक लीटर क्रूड ऑयल की कीमत तकरीबन 12।58 रुपए बैठती है।

तेल कंपनियों को प्रोसेस के बाद एक लीटर पेट्रोल की कीमत तकरीबन 33.23 रुपए पड़ती है, जिसे कंपनियां डीलरों को 33.54 रुपए पैसे की दर से डीलरों को बेचती हैं और डीलर इसमें 3.54 रुपए अपना कमीशन जोड़ते हैं। केंद्र सरकार इस एक लीटर पर 17.98 रुपए एक्साइज टैक्स वसूलती हैं और उसके बाद राज्य सरकार वैट के जरिए तकरीबन 14.87 रुपए की वसूली करती है यानी जो पेट्रोल महज 34-35 रुपए प्रति लीटर मिलना चाहिए वो तकरीबन दो गुने दाम पर बेचा जाता है।

फोटोः फाइल

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