सुभाष विश्वकर्मा
लखनऊ।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पदभार सँभालते ही भ्रष्टाचार को समूल नाश कर देने की बात कही थी। लेकिन सीएम की मंशा को धता बताते हुए यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद लगातार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए दिखाई दे रहे हैं। यूपीएसआईडीसी में मृतक आश्रित नियमावली को ताक पर रखकर भर्तियां की जा रही हैं। मृतकों के आश्रितों को नौकरी दिए जाने के लिए नियम/शासनादेश निगम में लागू हैं लेकिन फिर भी स्वेच्छाचारिता अपनाते हुए निगम की सेवा नियमावली को ताक पर रखते हुए सहायक प्रबंधक एवं उप-प्रबंधक के पदों पर की नियुक्तियाँ की जा रही हैं।
जबकि सर्विस रूल के मुताबिक, सहायक प्रबंधक का पद 50 प्रतिशत प्रोन्नत से और 50 फीसदी सीधी भर्ती से भरा जाने वाला पद है। इस पर पर मृतक आश्रित की नियुक्ति नियम व सेवा नियमावली के विरुद्ध है। शासनादेश संख्या 23य44-2चस/88-91 दिनांक 19 फरवरी 2013 का उल्लंघन करते हुये यूपीएसआईडीसी में मृतक आश्रित के रूप में ग्रेड पे 4600 पर अंकिता सेंगर को नियुक्ति दी गयी है। ये कारनामा है प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद का।
नियमविरुद्ध की गयी इस नियुक्ति ने एमडी रणवीर प्रसाद की कार्यप्रणाली को संदेह के दायरे में ला दिया है। हालाँकि सूत्रों की मानें तो प्रबंध निदेशक को अँधेरे में रखकर अंकिता सेंगर की नियक्ति करवाई गयी है। खुलासे के बाद से यूपीएसआईडीसी में हड़कंप मचा हुआ है वहीँ एमडी कैंप ने इस मामले में चुप्पी साध ली है।
सूत्रों की मानें तो यूपीएसआईडीसी के भ्रष्ट अधिकारियों के चंगुल में एमडी रणवीर प्रसाद फंस चुके हैं। इससे पहले ट्रांसफर को लेकर भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बात सामने आयी थी और तब एमडी रणवीर प्रसाद की काफी किरकिरी हुई थी। प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद इससे उबर भी नहीं पाए थे कि मृतक आश्रित की नियमविरुद्ध नियुक्ति ने उन्हें फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।
नियमविरुद्ध की गयी इस नियुक्ति को लेकर कर्मचारी नेता स्वराज श्रीवास्तव ने एक शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले को संज्ञान में लेते हुई पूरी रिपोर्ट तलब की है। गौरतलब है कि सीएम योगी ने पदभार ग्रहण करने के बाद भ्रष्टाचार के समूल नाश का ऐलान किया था। ऐसे में सीएम कार्यालय ने मामले को गंभीर मानते हुए इसपर कार्रवाई की कबायद शुरू कर दी है।
एमडी रणवीर प्रसाद की कार्यप्रणाली को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। बताया जा रहा है एमडी रणवीर प्रसाद के सलाहकार निगम के वो अफसर हैं जिनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और इनपर जांचें भी चल रही हैं, लेकिन इन भ्रष्ट अफसरों की ही सलाह पर रणवीर प्रसाद सारे काम करते हैं। वहीँ निगम के ही कुछ अफसरों का मानना है कि एमडी की मर्जी से ही सारे काम हो रहे हैं। कुछ भ्रष्ट अफसर एमडी के काफी करीब आ चुके हैं और वो नजदीकी का फायदा उठा कर उलटे-सीधे सारे काम करवा रहे हैं।
इसके पहले भी निगम में अस्थाई रूप में कार्यरत सहायक अभियंता प्रमोद सिंह की पत्नी को भी सहायक प्रबंधक के पद पर नौकरी दी गई है। इसके पहले भी निगम में उप-प्रबंधक सामान्य के पद पर मयंक श्रीवास्तव को भी मृतक आश्रित के रूप में नौकरी दी गई। जबकि इनके पिता कभी यूपीएसआईडीसी में कार्यरत रहे ही नहीं। बिना विज्ञापन के उप-प्रबंधक सामान्य के पद पर संजू उपाध्याय एवं वीके सिंह की नियुक्ति की गई।
निगम में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी श्याम सिंह को 30 हजार रुपए प्रतिमाह पर मैनेजमेंट ट्रेनी के पद नियुक्ति दी गई जबकि निगम में मैनेजमेंट ट्रेनी का कोई पद ही नहीं है। । वहीँ निगम में तमाम ऐसे मृतक आश्रित हैं जो एमडी के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक किसी भी पद पर नौकरी ही नहीं दी गई। सूत्रों की मानें तो यहाँ पिक-एन-चूज़ की परम्परा चली आ रही है और कहीं न कहीं एमडी रणवीर प्रसाद भी उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं।